सोमवार, 11 जनवरी 2010

114. मेरी उपलब्धि / meri uplabdhi

मेरी उपलब्धि

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सब कहते मेरी उपलब्धियों की
फ़ेहरिस्त बड़ी लम्बी है 

अक्सर सोचती हूँ
क्या होती है उपलब्धि?
क्या है मेरी उपलब्धि?
क्या मेरा मैं होना मेरी उपलब्धि है?
या कुदरत की कोई गुस्ताख़ी है?
या है ख़ुदा की बेगारी?

मैं तो महज़ वक़्त के साथ
क़दम दर क़दम चलती रही हूँ  

मैं कहाँ हूँ?
मैंने क्या किया?
अनवरत जद्दोज़हद और मशक्कत
मुकम्मल ज़िन्दगी जीने की नाकाम कोशिश,
पर वो भी तो तक़दीर में बदा है
मेरे मैं होने की कहानी है
या इस उपलब्धि को पाने की क़ुर्बानी है?

साँसों की मंथर गति
लहू की तेज़ रफ़्तार
कुछ पल सुहाने
कुछ अफ़साने
अपनों के बिछुड़ने का ग़म
जीवन का बेमियाद सफ़र
क्या ये ही मेरी उपलब्धि है?

जिसका कोई वजूद नहीं
उसकी कैसी उपलब्धि?
क्या इसे ही कहते हैं उपलब्धि?
हाँ! शायद इसे ही कहते होंगे
जीवन की उपलब्धि 
मेरी उपलब्धि! 

- जेन्नी शबनम (11. 1. 2010)
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meri uplabdhi

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sab kahte meri uplabdhiyon ki
feharist badi lambi hai.

aksar sochti hun
kya hoti hai uplabdhi?
kya hai meri uplabdhi?
kya mera main hona meri uplabdhi hai?
ya kudrat ki koi gustaakhi hai?
ya hai khuda ki begaari?

main to mahaz waqt ke saath
qadam dar qadam chalti rahi hoon.

main kahan hun?
maine kya kiya?
anwarat jaddozehad aur mashakkat
mukammal zindagi jine ki naakaam koshish,
par wo bhi to taqdeer mein badaa hai
mere main hone ki kahani hai
ya is uplabdhi ko paane ki kurbaani hai?

saanson ki manthar gati
lahoo ki tez raftaari
kuchh pal suhaane
kuchh afsaane
apno ke bichhudne ka gam,
jiwan ka bemiyaad safar
kya ye hi meri uplabdhi hai?

jiska koi wajood nahin
uski kaisi uplabdhi?
kya ise hi kahte hain uplabdhi?
haan! shayad ise hi kahte honge
jiwan ki uplabdhi.
meri uplabdhi...!

- Jenny Shabnam (11. 1. 2010)
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