सोमवार, 12 अप्रैल 2010

134. बेअसर (क्षणिका) / beasar (kshanika)

बेअसर 

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न पथराया मन, न बेजान हुआ तन
न हो सकी अब तक मैं बेअसर 
होता है मुझमें अब भी असर
मेरे जीवित होने का प्रमाण है
गोया जीवन जीने की शर्त मेरी
ये रंग-बिरंगी कई गोलियाँ
तीखी-चुभती अनेक सूईयाँ
मीठी-कड़वी सबकी बोलियाँ

- जेन्नी शबनम (11. 4. 2010)
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beasar 

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na pathraaya mann, na bejaan hua tann
na ho saki ab tak main beasar 
hota hai mujhmein ab bhi asar
mere jivit hone ka pramaan hai
goya jiwan jine kee shart meri
ye rang-birangi kaii goliyan
teekhi-chubhti anek sooiyan
meethi-kadwi sabki boliyan.

- Jenny Shabnam (11. 4. 2010)
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