अलविदा कहते हैं वो
*******
ज़मीन-ए-दिल में बसा, हमको रखते हैं वो
कभी पूछी ख़ैरियत, कभी बस चल देते हैं वो।
*******
ज़मीन-ए-दिल में बसा, हमको रखते हैं वो
कभी पूछी ख़ैरियत, कभी बस चल देते हैं वो।
रूठे को मनाना, है अजब शौक उनको
हर बात पर ख़फ़ा, हमको करते हैं वो।
राहों ने टोका, पर भूल जाते हैं रास्ता
हमसे हमारा पता, हर रोज़ पूछते हैं वो।
आईना भी थक गया, याद करके उन्हें
पल-पल रूप कितने, जाने बदलते हैं वो।
हम कभी भी न मिले, ये मंज़ूर है उन्हें
ग़र मिले तो तमाम उम्र, माँगते हैं वो।
उनका अंदाज़-ए-मोहब्बत, तो ज़रा देखिए
न हो तकरार हमसे, बेचैन रहते हैं वो।
मुद्दतों इश्क़ का पैग़ाम, हमको भेजते रहे
इत्तिफ़ाकन जो मिल गए, बड़ा शर्माते हैं वो।
साथ जीने की कसमें, हमको देते हैं रोज़
इश्क़ में मर जाने की कसम, खाते हैं वो।
उनकी आँखों में दिखती है, मेरी आशिकी
हुआ जो सामना, हमसे ही नज़रें चुराते हैं वो।
ताउम्र साथ चलेंगे, वो रोज़ कहते हैं 'शब'
जब भी मिले, हमको अलविदा कहते हैं वो।
- जेन्नी शबनम (16. 5. 2010)
______________________________
alvida kahte hain wo
*******
zameen-e-dil mein basa, humko rakhte hain wo
kabhi puchhi khairiyat, kabhi bas chal dete hain wo.
ruthe ko manaana, hai ajab shauk unko
har baat par khafa, humko karte hain wo.
raahon ne toka, par bhul jaate hain raasta
hamse hamara pata, har roz puchhte hain wo.
aaiina bhi thak gaya, yaad karke unhein
pal-pal roop kitne, jaane badalte hain wo.
hum kabhi bhi na mile, ye manzoor hai unhein
gar mile to tamaam umrr, maangte hain wo.
unka andaaz-e-mohabbat, to zara dekhiye
na ho takraar humse, bechain rahte hain wo.
muddaton ishq ka paighaam, humko bhejte rahe
ittifaakan jo mil gaye, bada sharmaate hain wo.
saath jine ki kasmein, humako dete hain roz
ishq mein mar jaane ki kasam, khaate hain wo.
unki aankhon men dikhti hai, meri aashiqi
hua jo saamna, humse hi nazarein churaate hain wo.
taaumrr saath chalenge, wo roz kahte hain 'shab'
jab bhi mile, hamako alavida kahte hain wo.
- Jenny Shabnam (16. 5. 2010)
___________________________________