तुम अपना ख़याल रखना
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उस सफ़र की दास्तान
तुम बता भी न पाओगे
न मैं पूछ सकूँगी
जहाँ चल दिए तुम अकेले-अकेले
यूँ मुझे छोड़कर
जानते हुए कि तुम्हारे बिना जीना
नहीं आता है मुझको
कठिन डगर को पार करने का
सलीका भी नहीं आता है मुझको
तन्हा जीना
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उस सफ़र की दास्तान
तुम बता भी न पाओगे
न मैं पूछ सकूँगी
जहाँ चल दिए तुम अकेले-अकेले
यूँ मुझे छोड़कर
जानते हुए कि तुम्हारे बिना जीना
नहीं आता है मुझको
कठिन डगर को पार करने का
सलीका भी नहीं आता है मुझको
तन्हा जीना
न मुझे सिखाया न सीखा तुमने
और चल दिए तुम बिना कुछ बताए
जबकि वादा था तुम्हारा
हमसफ़र रहोगे सदा
अंतिम सफ़र में हाथ थामे
बेख़ौफ़ पार करेंगे रास्ता।
बहुत शिकायत है तुमसे
पर कहूँ भी अब तुमसे कैसे?
जाने तुम मुझे सुन पाते हो कि नहीं?
उस जहाँ में मैं तुम्हारे साथ हूँ कि नहीं?
सब कहते हैं
तुम अब भी मेरे साथ हो
जानती हूँ यह सच नहीं
तुम महज़ एहसास में हो यथार्थ में नहीं
धीरे-धीरे मेरे बदन से तुम्हारी निशानी कम हो रही
अब मेरे ज़ेहन में रहोगे मगर ज़िन्दगी अधूरी होगी
मेरी यादों में जिओगे
साथ नहीं मगर मेरे साथ-साथ रहोगे।
अब चल रही हूँ मैं तन्हा-तन्हा
अँधेरी राहों से घबराई हुई
तुम्हें देखने महसूस करने की तड़प
अपने मन में लिए
तुम तक पहुँच पाने के लिए
अपना सफ़र जारी रखते हुए
तुम्हारे सपने पूरे करने के लिए
कठोर चट्टान बनकर
जिसे सिर्फ़ तुम डिगा सकते हो
नियति नहीं।
मेरा इंतज़ार न करना
तुहारा सपना पूरा करके ही
मैं आ सकती हूँ
छोड़ कर तुम गए
अब तुम भी
मेरे बिना सीख लेना वहाँ जीना
थोड़ा वक़्त लगेगा मुझे आने में
तब तक तुम अपना ख़याल रखना।
- जेन्नी शबनम (1. 5. 2011)
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और चल दिए तुम बिना कुछ बताए
जबकि वादा था तुम्हारा
हमसफ़र रहोगे सदा
अंतिम सफ़र में हाथ थामे
बेख़ौफ़ पार करेंगे रास्ता।
बहुत शिकायत है तुमसे
पर कहूँ भी अब तुमसे कैसे?
जाने तुम मुझे सुन पाते हो कि नहीं?
उस जहाँ में मैं तुम्हारे साथ हूँ कि नहीं?
सब कहते हैं
तुम अब भी मेरे साथ हो
जानती हूँ यह सच नहीं
तुम महज़ एहसास में हो यथार्थ में नहीं
धीरे-धीरे मेरे बदन से तुम्हारी निशानी कम हो रही
अब मेरे ज़ेहन में रहोगे मगर ज़िन्दगी अधूरी होगी
मेरी यादों में जिओगे
साथ नहीं मगर मेरे साथ-साथ रहोगे।
अब चल रही हूँ मैं तन्हा-तन्हा
अँधेरी राहों से घबराई हुई
तुम्हें देखने महसूस करने की तड़प
अपने मन में लिए
तुम तक पहुँच पाने के लिए
अपना सफ़र जारी रखते हुए
तुम्हारे सपने पूरे करने के लिए
कठोर चट्टान बनकर
जिसे सिर्फ़ तुम डिगा सकते हो
नियति नहीं।
मेरा इंतज़ार न करना
तुहारा सपना पूरा करके ही
मैं आ सकती हूँ
छोड़ कर तुम गए
अब तुम भी
मेरे बिना सीख लेना वहाँ जीना
थोड़ा वक़्त लगेगा मुझे आने में
तब तक तुम अपना ख़याल रखना।
- जेन्नी शबनम (1. 5. 2011)
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