ग्रीष्म
(ग्रीष्म के 10 हाइकु)
*******
1.
तपती गर्मी
अब तो बरस जा
ओ रे बदरा।
2.
उसका ताप
जल उठे जो हम
सूरज हँसा।
3.
सह न सके
उड़ चले पखेरू
बावड़ी सूखी।
4.
गगरी खाली
सूख गई धरती
प्यासी तड़पूँ।
5.
सूर्य कठोर
अगन बरसाए
कहीं न छाँव।
6.
झुलस गई
धधकती धूप में
मेरी बगिया।
7.
खेलते बच्चे
बरगद की छाँव
कभी था गाँव।
8.
सूर्य उगले
आग का है दरिया
तन झुलसा।
9.
सूरज जला
तपता जेठ मास
आ जा आषाढ़।
10.
तपता जेठ
मन को अलसाए
पौधे मुर्झाए।
- जेन्नी शबनम (2. 4. 2011)
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(ग्रीष्म के 10 हाइकु)
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1.
तपती गर्मी
अब तो बरस जा
ओ रे बदरा।
2.
उसका ताप
जल उठे जो हम
सूरज हँसा।
3.
सह न सके
उड़ चले पखेरू
बावड़ी सूखी।
4.
गगरी खाली
सूख गई धरती
प्यासी तड़पूँ।
5.
सूर्य कठोर
अगन बरसाए
कहीं न छाँव।
6.
झुलस गई
धधकती धूप में
मेरी बगिया।
7.
खेलते बच्चे
बरगद की छाँव
कभी था गाँव।
8.
सूर्य उगले
आग का है दरिया
तन झुलसा।
9.
सूरज जला
तपता जेठ मास
आ जा आषाढ़।
10.
तपता जेठ
मन को अलसाए
पौधे मुर्झाए।
- जेन्नी शबनम (2. 4. 2011)
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