बुधवार, 22 जून 2011

256. सूरज ने आज ही देखा है मुझे

सूरज ने आज ही देखा है मुझे

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रोज़ ही तो होती है
नयी सुबह
रोज़ ही तो देखती हूँ
सूरज को उगते हुए
पर मन में उमंगें
आज ही क्यों?
शायद पहली बार सूरज ने
आज ही देखा है मुझे। 

अपनी समस्त ऊर्जा
और ऊष्णता से
मुझमें जीवन भर रहा है
अपनी धूप की सेंक से
मेरी नम ज़िन्दगी को
ताज़ा कर रहा है। 

जाने कितने सागर हैं
समाये मुझमें
समस्त संभावनाएँ और सृष्टी की पहचान
दे रहा है
ज़िन्दगी अवसाद नहीं न विरोध है
अद्भूत है
अपनी तेज किरणों से
ज्ञान दे रहा है। 

बस एक अनुकूल पल
और तरंगित हो गया
समस्त जीवन-सत्य
बस एक अनोखा संचार
और उतर गया
सम्पूर्ण शाश्वत-सत्य। 

- जेन्नी शबनम (26. 1. 2009)
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