बुधवार, 7 सितंबर 2011

281. अनुबन्ध

अनुबन्ध

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एक अनुबन्ध है जन्म और मृत्यु के बीच
कभी साथ-साथ घटित न होना
एक अनुबन्ध है प्रेम और घृणा के बीच
कभी साथ-साथ फलित न होना 
एक अनुबन्ध है स्वप्न और यथार्थ के बीच
कभी सम्पूर्ण सत्य न होना 
एक अनुबन्ध है धरा और गगन के बीच
कभी किसी बिन्दु पर साथ न होना 
एक अनुबन्ध है आकांक्षा और जीवन के बीच
कभी सम्पूर्ण प्राप्य न होना 
एक अनुबन्ध है मेरे मैं और मेरे बीच
कभी एकात्म न होना।

- जेन्नी शबनम (27.1.2009)
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