गाँव
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2.
गोबर-पुती
हर मौसम सहे
झोपड़ी तनी।
3.
4.
6.
ज़िन्दगी ख़त्म,
फूस की झोपड़ी से
नदी का घाट।
7.
चिरैया चुगे
लहलहाते पौधे
धान की बाली।
8.
गाँव की मिट्टी
सोंधी-सोंधी महकी
बयार चली।
9.
कभी न हारी
धुँआँ-धुँआँ ज़िन्दगी
गाँव की नारी।
10.
रात अन्हार
दिन सूर्य उजार,
नहीं लाचार।
11.
सुख के साथी
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1.
माटी का तन
माटी में ही खिलता
जीवन जीता।
माटी में ही खिलता
जीवन जीता।
2.
गोबर-पुती
हर मौसम सहे
झोपड़ी तनी।
3.
अपनापन
बस यहीं है जीता
हमारा गाँव।
बस यहीं है जीता
हमारा गाँव।
4.
भण्डार भरा,
प्रकृति का कुआँ
दान में मिला।
5.
गीत सुनाती
गाँव की पगडंडी
रोज़ बुलाती।
गीत सुनाती
गाँव की पगडंडी
रोज़ बुलाती।
6.
ज़िन्दगी ख़त्म,
फूस की झोपड़ी से
नदी का घाट।
7.
चिरैया चुगे
लहलहाते पौधे
धान की बाली।
8.
गाँव की मिट्टी
सोंधी-सोंधी महकी
बयार चली।
9.
कभी न हारी
धुँआँ-धुँआँ ज़िन्दगी
गाँव की नारी।
10.
रात अन्हार
दिन सूर्य उजार,
नहीं लाचार।
11.
सुख के साथी
माटी और पसीना,
भूख मिटाते।
12.
भरे किसान
खलिहान में खान,
अनाज सोना।
13.
किसान नाचे
खेत लहलहाए,
भदवा चढ़ा।
14.
कोठी में चन्दा
पर ज़िन्दगी फंदा,
क़र्ज़ में साँस।
15.
छीने सपने
गाँव की ख़ुशबू के
बसा शहर।
16.
परों को नोचा
शहर की हवा ने
घायल गाँव।
17.
कुनमुनाती
गुनगुनी-सी हवा
फ़सल साथ।
18.
कच्ची माटी में
जीवन का संगीत,
गाँव की रीत।
19.
नैनों में भादो,
बदरा जो न आए
पौधे सुलगे।
20.
हुआ विहान,
बैल का जोड़ा बोला-
सरेह चलो। - जेन्नी शबनम (2. 9. 2014)
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