तारों का बाग़
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2.
3.
4.
1.
तारों के गुच्छे
ज़मीं पे छितराए
मन लुभाए।
ज़मीं पे छितराए
मन लुभाए।
2.
बिजली जली
दीपों का दम टूटा
दीवाली सजी।
3.
तारों का बाग़
धरती पे बिखरा
आज की रात।
धरती पे बिखरा
आज की रात।
4.
दीप जलाओ
प्रेम प्यार की रीत
जी में बसाओ।
प्रेम प्यार की रीत
जी में बसाओ।
5.
प्रदीप्त दीया
मन का अमावस्या
भगा न सका।
6.
रात ने ओढ़ा
आसमाँ का काजल
दीवाली रात।
7.
आतिशबाज़ी
जुगनुओं की रैली
तम बेचारा।
8.
भगा न पाई
दुनिया की दीवाली
मन का तम।
- जेन्नी शबनम ( 20. 10. 2014)
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