लम्हों का सफ़र
मन की अभिव्यक्ति का सफ़र
मंगलवार, 3 मार्च 2015
488. स्त्री की डायरी (क्षणिका)
स्त्री की डायरी
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स्त्री की डायरी
उसका सच नहीं बाँचती
स्त्री की डायरी में
उसका सच अलिखित छपा होता है
इसे वही पढ़ सकता है,
जिसे वो चाहेगी
भले दुनिया
अपने मनमाफ़िक
उसकी डायरी में
हर्फ़ अंकित कर ले
।
- जेन्नी शबनम (3. 3. 2015)
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