आज का सच
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जो तुम चाहते हो कि मानी जाए
बिना ना-नुकुर, बिना कोई बहस
चाहते हो कि तुम्हारी बात मानी जाए।
तुम हमेशा सही हो, बिल्कुल परफ़ेक्ट
तुम ग़लत हो ही नहीं सकते
तुम्हारे सारे समीकरण सही हैं
न भी हों, तो कर दिए जाते हैं।
किसका मजाल, जो तुम्हें ग़लत कह सके
आख़िर मिल्कियत तुम्हारी
हुकूमत तुम्हारी
हर शय ग़ुलाम
पंचतत्व तुम्हारे अधीन
हवा, पानी, मिट्टी, आग, आकाश
सब तुम्हारी मुट्ठी में।
इतना भ्रम, इतना अहंकार
मन करता है, तुम्हें तुम्हारा सच बताऊँ
जान न भी बख़्शो, तो भी कह ही दूँ-
जो है सब झूठ
बस एक सच, आज का सच
''जिसकी लाठी उसकी भैंस!''
-जेन्नी शबनम (26.1.2016)
(गणतंत्र दिवस)
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