लम्हों का सफ़र
मन की अभिव्यक्ति का सफ़र
बुधवार, 9 अगस्त 2017
554. सँवार लूँ (क्षणिका)
सँवार लूँ
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मन चाहता है
एक बोरी सपनों के बीज
मन के मरुस्थल में छिड़क दूँ
मनचाहे सपने उगा
ज़िन्दगी सँवार लूँ।
- जेन्नी शबनम (9. 8. 2017)
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