वक़्त (चोका)
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वक्त की गति
करती निर्धारित
मन की दशा
हो मन प्रफुल्लित
वक़्त भागता
सूर्य की किरणों-सा
मनमौजी-सा
पकड़ में न आता
मन में पीर
अगर बस जाए
बीतता नहीं
वक़्त थम-सा जाता
जैसे जमा हो
हिमालय पे हिम
कठोरता से
पिघलना न चाहे,
वक़्त सजाता
तोहफ़ों से ज़िन्दगी
निर्ममता से
कभी देता है सज़ा
बिना कुसूर
वक़्त है बलवान
उसकी मर्ज़ी
जिधर ले के चले
जाना ही होता
बिना किए सवाल
बिना दिए जवाब !
- जेन्नी शबनम (28. 1. 2019)
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