महज़ नाम
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सोचती थी, किसी के आँचल में हर वेदना मिट जाती है
पर भाव बदल जाते हैं, तो संवेदना मिट जाती है
न किसी प्यार का, न अधिकार का नाम है
माँ संबंध नहीं, महज़ पुकार का एक नाम है
तासीर खो चुका है, बेकार का नाम है।
- जेन्नी शबनम (7. 11. 2019)
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