सीता की पीर (10 हाइकु)
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1.
राह अगोरे
शबरी-सा ये मन,
कब आओगे?
2.
अहल्या बनी
कोई राम न आया
पाषाण रही।
3.
चीर-हरण,
द्रौपदी का वो कृष्ण
आता न अब।
4.
शुचि द्रौपदी
पाँच वरों में बँटी,
किसका दोष?
5.
कर्ण का दान
कवच व कुंडल,
कुंती बेकल।
6.
सीता है स्तब्ध
राम का तिरस्कार
भूमि की गोद।
7.
सीता की पीर
माँ धरा ने समेटी
दो फाँक हुई।
8.
स्पंदित धरा
फटा धरा का सीना
समाई सीता।
9.
त्रिदेव शिशु,
सती अनसूइया
आखिर हारे।
10.
सती का कुंड
अब भी प्रज्वलित,
कोई न शिव।
- जेन्नी शबनम (31. 5. 2020)
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