बेइख़्तियार हूँ
*******
1.
बेइख़्तियार हूँ
***
भावनाएँ और संवेदनाएँ
अपनी राह से भटक चुकी हैं
अब शब्दों में पनाह नहीं लेती
आँखों में घर कर चुकी है
कभी बदली बन तैरती है
कभी बारिश बन बरसती है
बेइख़्तियार हूँ
वक़्त, रिश्ते और ख़ुद पर
हर नियंत्रण खो चुकी हूँ।
2.
नाजुक टहनी
***
हम सपने बीनते रहे
जो टूटकर गिरे थे आसमान की शाखों से जिसे बुनकर हम ओढ़ा आए थे कभी
आसमान को
ज़रा-सी धूप, हवा, पानी के वास्ते,
आसमान की नाज़ुक टहनी
सँभाल न सकी थी मेरे सपनों को।
3.
हदबंदी
***
मन की हदबंदी, ख़ुद की मैंने
मन की हदबंदी, ख़ुद की मैंने
जिस्म की हदबंदी, ज़माने ने सिखाई
कुल मिलाकर हासिल- अकेलापन
परिणाम- जीवन की हदबंदी
जो तब टूटेगी जब साँसें टूटेगी
और टूट जाएँगे वे तमाम हद
जो जन्म के साथ हमारी जात को
पूरी निगरानी के साथ तोहफ़े में मिलते हैं।
4.
इंकार
***
मेरी ख़ामोशियाँ चीखकर मुझे बुलाती हैं
सन्नाटे के कोलाहल से व्यथित मेरा मन
ख़ुद तक पहुँचने से इंकार कर रहा है
नहीं चाहता मुझ तक कुछ भी पहुँचे।
5.
लम्बी ज़िन्दगी
***
यह दर्द ठहरता क्यों नहीं?
मुझसे ज़्यादा लम्बी ज़िन्दगी
शायद दर्द को मिली है।
6.
ताकीद
***
बढ़ती उम्र ने ताकीद की-
वक़्त गुज़र रहा है
पर जाने क्यों ठहरा हुआ-सा लगता है
सिर्फ़ मैं दौड़ती हूँ अकेली भागती हूँ
चलो, तुम भी दौड़ो मेरे साथ
मेरे बिना तुम कहाँ?
7.
मीठी
*******
मैं इतनी मीठी बन गई
कि मेरी नसों में मिठास भर गई
और ज़िन्दगी तल्ख़ हो गई।
8.
नींद
***
सपने आकार द्वार खटखटाते
नींद न जाने किधर चल देती
सारी दुनिया की सैर कर आती
मुझसे नज़रें रोज़ चुराती
न दवा की सुनती न मिन्नतें सुनती
अहंकारी नींद जब मर्ज़ी तब ही आती
सपनो से मैं मिल ना पाती।
- जेन्नी शबनम (1. 9. 2021)
___________________________