गुरुवार, 3 अगस्त 2023

761. बिछड़े खेत (चोका)

बिछड़े खेत

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खेत बेचारे   

एक दूजे को देखें   

दुख सुनाएँ   

भाई-भाई से वे थे   

सटे-सटे-से   

मेड़ से जुड़े हुए,   

बिछड़े खेत   

बिक गए जो खेत   

वे रोते रहे   

मेड़ बना बाउंड्री   

कंक्रीट बिछे   

खेत से उपजेंगे   

बहुमंज़िला   

पत्थर-से मकान,   

खेत के अन्न   

शहर ने निगले   

बदले दिए   

कंक्रीट के जंगल,   

खेत का दर्द   

कोई  समझता   

धन की माया   

समझे सरमाया,   

खेत-किसान   

बेबस  लाचार   

हो रहे ख़त्म   

अन्नखेतकिसान   

खेत  बचा   

अन्न कहाँ उपजे?   

कौन क्या खाए?   

 सरमायादार   

अब तू पत्थर खा।  


- जेन्नी शबनम (2.8.2023)

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