tag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post3663118609320956919..comments2024-03-27T19:28:26.722+05:30Comments on लम्हों का सफ़र: 458. हादसा डॉ. जेन्नी शबनमhttp://www.blogger.com/profile/11843520274673861886noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-59267060136767036852014-06-29T20:28:10.778+05:302014-06-29T20:28:10.778+05:30बहुत सुंदर अहसास जेनी जी .....बहुत सुंदर अहसास जेनी जी .....Harash Mahajanhttps://www.blogger.com/profile/17431155483774376440noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-71267062842460860772014-06-23T03:09:38.964+05:302014-06-23T03:09:38.964+05:30हादसा कविता लगता है कहीं गहरी खरोंच छोड़ जाती है । ...हादसा कविता लगता है कहीं गहरी खरोंच छोड़ जाती है । प्रेम और साथ जीवन जीने का अन्तर्द्वन्द्व इस कविता में बहुत गहराई से अभिव्यक्त हुआ है । सहज साहित्यhttps://www.blogger.com/profile/09750848593343499254noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-71041014243049530682014-06-17T22:40:52.794+05:302014-06-17T22:40:52.794+05:30असंबंध ही मुनासिब है ।
फिर न कोी जिरह होगी
न कोई ...असंबंध ही मुनासिब है ।<br />फिर न कोी जिरह होगी <br />न कोई हादसा होगा।<br /><br />कहां हो पाता है ऐसा अलगाव, जुडे ही रहते हं हम इन हादसों के बावजूद। आशा जोगळेकरhttps://www.blogger.com/profile/14609401024069814020noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-68095773347345370052014-06-15T20:18:43.905+05:302014-06-15T20:18:43.905+05:30इन हादसों में कई सारे वे क्षण भी आए थे जब अपने-अप...इन हादसों में कई सारे वे क्षण भी आए थे जब अपने-अपने शब्द-वाण से हम एक दूसरे की ह्त्या तक करने को आतुर थे अपनी ज़हरीली जिह्वा से <br />एक दूसरे का दिल चीर देते थे हमारे दरम्यान कई क्षण ऐसे भी आए थे जब खुद को मिटा देने का मन किया था क्योंकि कई बार हमारा मिलना गहरे ज़ख़्म दे जाता था जिसका भरना कभी मुमकिन नहीं हुआ <br /><br />ऐसे हादसों के बाद प्यार की बाढ भी तो आती है।<br />सुंदर प्रस्तुति,काफी हद तक सत्य भी।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-45034122337135204512014-06-12T09:41:05.855+05:302014-06-12T09:41:05.855+05:30हादसों के बिना
हमारा मिलना मुमकिन नहीं
कुछ और हा...हादसों के बिना <br />हमारा मिलना मुमकिन नहीं<br />कुछ और हादसों की हिम्मत <br />अब मुझमें नहीं <br />अंततः <br />पुख्ता फैसला चुपचाप किया है - <br />''असंबद्धता ही मुनासिब है'' <br />अब न कोई जिरह होगी <br />न कोई हादसा होगा !<br /><br /><br />बेहतर फैसला डा. शबनम जी,<br /><br />साहिर ने भी यही फैसला लेने की सलाह दी है-<br /><br />वो अफसाने जिनहें तकमील तक लाना ना हो मुमकिन,<br />उन्हें इक खूबसूरत मोड़ देकर, छोड़ना अच्छा।<br />चलो इक बार फिर से अजनबी बन जायें...Dr.R.Ramkumarhttps://www.blogger.com/profile/09073007677952921558noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-84397366284753632032014-05-31T10:02:44.884+05:302014-05-31T10:02:44.884+05:30कमाल की रचना कमाल की रचना Onkarhttps://www.blogger.com/profile/15549012098621516316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-80765864839231810062014-05-30T17:47:23.308+05:302014-05-30T17:47:23.308+05:30bhavpurn-***bhavpurn-***Aditya Tikkuhttps://www.blogger.com/profile/07149181405696484311noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-28164089428478416432014-05-26T20:20:33.770+05:302014-05-26T20:20:33.770+05:30क्या कहूं--संबन्धों की संवेदन्शीलता-या कि संवेदनही...क्या कहूं--संबन्धों की संवेदन्शीलता-या कि संवेदनहीनता पर लटकी हुई जिंदगियां--उतर जाएं या---?<br />भावों को सहमा देने वाली अनुभूति.मन के - मनकेhttps://www.blogger.com/profile/16069507939984536132noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-61700853236058973942014-05-26T08:38:38.825+05:302014-05-26T08:38:38.825+05:30आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति सोमवारीय चर्चा मंच पर ।।... आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति सोमवारीय <a href="http://charchamanch.blogspot.in/" rel="nofollow">चर्चा मंच</a> पर ।। रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.com