tag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post3999886797860683027..comments2024-03-27T19:28:26.722+05:30Comments on लम्हों का सफ़र: 292. क़र्ज़ अदायगीडॉ. जेन्नी शबनमhttp://www.blogger.com/profile/11843520274673861886noreply@blogger.comBlogger19125tag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-52198686181555738852011-10-23T18:35:36.503+05:302011-10-23T18:35:36.503+05:30दूर जाना हीं होगा मुझे
क्योंकि यही मेरी क़र्ज़ अदा...दूर जाना हीं होगा मुझे<br />क्योंकि यही मेरी क़र्ज़ अदाएगी है,<br />थोड़े पल और कुछ सपने<br />उधार दिए थे तुमने<br />दान नहीं !<br /><br />आपकी प्रस्तुति की सादगी और <br />सुन्दर भावों की अदायगी की प्रशंसा <br />करने के लिए शब्द नही हैं मेरे पास.<br /><br />आपको बहुत बहुत बधाई और <br />हार्दिक शुभकामनाएँ.Rakesh Kumarhttps://www.blogger.com/profile/03472849635889430725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-21090513230170438772011-10-18T17:59:37.210+05:302011-10-18T17:59:37.210+05:30थोड़े पल और कुछ सपने
उधार दिए थे तुमने
दान नहीं !
...थोड़े पल और कुछ सपने<br />उधार दिए थे तुमने<br />दान नहीं !<br />बहुत सुन्दर संवेदनशील अभिव्यक्ति.Sunil Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10008214961660110536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-30354029186474880792011-10-18T09:15:24.748+05:302011-10-18T09:15:24.748+05:30अगर कभी मिलूँ भी तो उस दोस्त की तरह
जिससे महज़ फ़र...अगर कभी मिलूँ भी तो उस दोस्त की तरह<br />जिससे महज़ फ़र्ज़ अदायगी सा वास्ता हो<br />या कोई ऐसी परिचित<br />जिससे सिर्फ दुआ सलाम का नाता हो !<br />-इन पंक्तियों में निहित विवशता बहुत व्यथित करने वाली है । जिन रिश्तों को व्यक्ति बहुत नज़दीक मानता है , उनकी निरर्थकता इन पंक्तियों में ध्वनित होती है।त्रिवेणीhttps://www.blogger.com/profile/18065125611157155281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-26907794065592840802011-10-17T23:25:35.097+05:302011-10-17T23:25:35.097+05:30दूर जाना हीं होगा मुझे
क्योंकि यही मेरी क़र्ज़ अदा...दूर जाना हीं होगा मुझे<br />क्योंकि यही मेरी क़र्ज़ अदाएगी है,<br />थोड़े पल और कुछ सपने<br />उधार दिए थे तुमने...<br /><br />अपने आत्मीय से बिचादने के भाव की बेहद सशक्त और भावुक अभिव्यक्ति.Santosh Kumarhttps://www.blogger.com/profile/08093068150076949621noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-40091346018904663652011-10-17T23:25:22.209+05:302011-10-17T23:25:22.209+05:30दूर जाना हीं होगा मुझे
क्योंकि यही मेरी क़र्ज़ अदा...दूर जाना हीं होगा मुझे<br />क्योंकि यही मेरी क़र्ज़ अदाएगी है,<br />थोड़े पल और कुछ सपने<br />उधार दिए थे तुमने...<br /><br />अपने आत्मीय से बिचादने के भाव की बेहद सशक्त और भावुक अभिव्यक्ति.Santosh Kumarhttps://www.blogger.com/profile/08093068150076949621noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-32754322076412885192011-10-17T13:47:04.749+05:302011-10-17T13:47:04.749+05:30♥
आदरणीया जेन्नी शबनम जी
बहुत अच्छा लिखा है...<b><a href="http://shabdswarrang.blogspot.com/" rel="nofollow">♥</a></b> <br /><br /><br /><b>आदरणीया जेन्नी शबनम जी</b> <br /><br /> बहुत अच्छा लिखा है - <br /><b> थोड़े पल और कुछ सपने<br />उधार दिए थे तुमने<br />दान नहीं !</b> <br />आत्म-सम्मान की रक्षा के लिए प्रेरित करती प्रभावशाली रचना हेतु साधुवाद ! <br /> <br />त्यौंहारों के इस सीजन सहित <br />आपको सपरिवार <br /><b>दीपावली की अग्रिम बधाइयां ! <br />शुभकामनाएं ! <br />मंगलकामनाएं !</b> <br />-राजेन्द्र स्वर्णकारRajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकारhttps://www.blogger.com/profile/18171190884124808971noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-39453725002256861632011-10-16T20:39:14.056+05:302011-10-16T20:39:14.056+05:30एक रिश्ते का मार्मिक चित्रण ...सुंदर रचनाएक रिश्ते का मार्मिक चित्रण ...सुंदर रचनारजनीश तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/10545458923376138675noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-23529370449442070422011-10-16T09:04:25.304+05:302011-10-16T09:04:25.304+05:30'थोड़े पल और कुछ सपने
उधार दिए थे तुमने
दान ...'थोड़े पल और कुछ सपने <br />उधार दिए थे तुमने <br />दान नहीं !'<br />............भावपूर्ण , सुन्दर प्रस्तुतिसुरेन्द्र सिंह " झंझट "https://www.blogger.com/profile/04294556208251978105noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-43044227759748854372011-10-14T21:43:53.196+05:302011-10-14T21:43:53.196+05:30तुमने कभी स्पष्ट कहा नहीं
शायद संकोच हो
या फिर
सवा...तुमने कभी स्पष्ट कहा नहीं<br />शायद संकोच हो<br />या फिर<br />सवालों से घिर जाने का भय<br />जो मेरी बेदख़ली पर तुमसे किये जायेंगे,<br />जो इतनी नज़दीक<br />ग़ैर कैसे ?<br />***********************<br />थोड़े पल और कुछ सपने<br />उधार दिए थे तुमने<br />दान नहीं !<br /><br />इतना ही काफी है.....!!<br />बेहद खूबसूरत........***Punam***https://www.blogger.com/profile/01924785129940767667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-32308307638601253302011-10-14T21:13:18.273+05:302011-10-14T21:13:18.273+05:30बहुत बढ़िया |
बधाई ||बहुत बढ़िया |<br />बधाई ||Maheshwari kanerihttps://www.blogger.com/profile/07497968987033633340noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-78463128698070459342011-10-14T16:23:21.678+05:302011-10-14T16:23:21.678+05:30बहुत उम्दा!बहुत उम्दा!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-76028560311106376782011-10-14T13:01:32.969+05:302011-10-14T13:01:32.969+05:30क्योंकि यही मेरी क़र्ज़ अदाएगी है,
थोड़े पल और कुछ स...क्योंकि यही मेरी क़र्ज़ अदाएगी है,<br />थोड़े पल और कुछ सपने<br />उधार दिए थे तुमने<br />दान नहीं !<br />bahut bhawpoorn likhi hain......mridula pradhanhttps://www.blogger.com/profile/10665142276774311821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-3515543694537197312011-10-14T08:41:20.842+05:302011-10-14T08:41:20.842+05:30बहुत सुंदर,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.comबहुत सुंदर,<br /><a href="http://vivj2000.blogspot.com/" rel="nofollow"><b> विवेक जैन </b><i>vivj2000.blogspot.com</i></a>Vivek Jainhttps://www.blogger.com/profile/06451362299284545765noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-60383066502446457662011-10-14T01:36:03.691+05:302011-10-14T01:36:03.691+05:30तुमने कभी स्पष्ट कहा नहीं
शायद संकोच हो
या फिर
सवा...तुमने कभी स्पष्ट कहा नहीं<br />शायद संकोच हो<br />या फिर<br />सवालों से घिर जाने का भय<br />जो मेरी बेदख़ली पर तुमसे किये जायेंगे,<br />जो इतनी नज़दीक<br />ग़ैर कैसे ?<br />पर हर बार तुम्हारी बेरुखी<br />इशारा करती है कि<br />ख़ुद अपनी राह बदल लूँ<br />तुम्हारे लिए मुश्किल न बनूँ,<br /><br /><br />सही कहा...<br />कई बार सामने वाला <br />खुद को बचाने के लिए <br />यही हथियार अख्तियार करता है...!!***Punam***https://www.blogger.com/profile/01924785129940767667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-4984729561795839552011-10-13T21:09:52.664+05:302011-10-13T21:09:52.664+05:30अगर कभी मिलूँ भी तो उस दोस्त की तरह
जिससे महज़ फ़र्ज़...अगर कभी मिलूँ भी तो उस दोस्त की तरह<br />जिससे महज़ फ़र्ज़ अदायगी सा वास्ता हो<br />या कोई ऐसी परिचित<br />जिससे सिर्फ दुआ सलाम का नाता हो !<br />bahut khub<br />jai hind jai bharatSAJAN.AAWARAhttps://www.blogger.com/profile/10975214181930047006noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-50155900439988492532011-10-13T20:12:49.499+05:302011-10-13T20:12:49.499+05:30thode pal aur kuch sapne udhaar diye the tumne.......thode pal aur kuch sapne udhaar diye the tumne....bhaavpoorn panktiyan.bahut umda rachna.Rajesh Kumarihttps://www.blogger.com/profile/04052797854888522201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-62745978633783723042011-10-13T16:03:46.571+05:302011-10-13T16:03:46.571+05:30सशक्त अभिवयक्ति.....सशक्त अभिवयक्ति.....विभूति"https://www.blogger.com/profile/11649118618261078185noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-26296117843098427942011-10-13T15:13:49.952+05:302011-10-13T15:13:49.952+05:30जानती हूँ
दूर जाना हीं होगा मुझे
क्योंकि यही मेरी ...जानती हूँ<br />दूर जाना हीं होगा मुझे<br />क्योंकि यही मेरी क़र्ज़ अदाएगी है,<br />थोड़े पल और कुछ सपने<br />उधार दिए थे तुमने<br />दान नहीं !...aur udhaar rakhna meri niyti nahinरश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-22876133419010558632011-10-13T14:07:53.187+05:302011-10-13T14:07:53.187+05:30दूर जाना हीं होगा मुझे
क्योंकि यही मेरी क़र्ज़ अदा...दूर जाना हीं होगा मुझे<br />क्योंकि यही मेरी क़र्ज़ अदाएगी है,<br />थोड़े पल और कुछ सपने<br />उधार दिए थे तुमने<br />दान नहीं !<br /><br />.....बहुत सुन्दर संवेदनशील अभिव्यक्ति..रचना के भाव अंतस को छू जाते हैं..Kailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.com