tag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post5320000677728737226..comments2024-03-27T19:28:26.722+05:30Comments on लम्हों का सफ़र: 263. स्तब्ध खड़ी हूँडॉ. जेन्नी शबनमhttp://www.blogger.com/profile/11843520274673861886noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-49804048072783680622011-07-08T23:54:23.310+05:302011-07-08T23:54:23.310+05:30मैं , तुम और वक़्त सदियों से सदियों का तमाशा देख रह...मैं , तुम और वक़्त सदियों से सदियों का तमाशा देख रहे हैं ...<br /><br />बहुत खूबसूरत रचना..........संध्या शर्माhttps://www.blogger.com/profile/06398860525249236121noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-50306054589578893072011-07-08T23:37:33.872+05:302011-07-08T23:37:33.872+05:30बहुत अच्छी कविता !
आभार- विवेक जैन vivj2000.blogs...बहुत अच्छी कविता !<br /><br />आभार-<a href="http://vivj2000.blogspot.com/" rel="nofollow"><b> विवेक जैन </b><i>vivj2000.blogspot.com</i></a>Vivek Jainhttps://www.blogger.com/profile/06451362299284545765noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-59141061457807136462011-07-08T18:57:47.148+05:302011-07-08T18:57:47.148+05:30बहुत खूबसूरत रचना पेश की है आपने!बहुत खूबसूरत रचना पेश की है आपने!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-11820178942858143782011-07-08T18:56:33.312+05:302011-07-08T18:56:33.312+05:30मैं, तुम और वक्त ...
सदियों से सदियों का तमाशा देख...मैं, तुम और वक्त ...<br />सदियों से सदियों का तमाशा देख रहे हैं|<br />न हम तीनों थके न सदियाँ थकी,<br />शायद...एक और इतिहास रचने वाला है,<br />या शायद...एक और बवंडर आने वाला है|<br />... jidagi ke kashmkash ko pradarshit karti badiya rachna!कविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-65648003684145234452011-07-08T15:40:27.891+05:302011-07-08T15:40:27.891+05:30आपकी पूरी कविता में एक व्याकुलता , आविष्ट -सी व्या...आपकी पूरी कविता में एक व्याकुलता , आविष्ट -सी व्याकुलता भरी है और इन पंक्तियों में तो तूफ़ान -सा भरा है- ख़्वाबों के गलियारे में, स्तब्ध, मैं हूँ खड़ी,<br />आंखों से ओझल, ख़ामोश, पास तुम भी हो खड़े,<br />साँसे हैं घबराई सी, वक्त भी है परेशान खड़ा|<br />जाने कौन सी विवशता है, वक्त ठिठका है,<br />जाने कौन सा तूफ़ान थामे, वक्त ठहरा है| इस कविता का एक -एक शब्द झकझोर कर रख देता है। हम तय ही नहीं कर पाते कि अगले पल जीवन में क्या होने वाला है । बहुत अच्छी कविता !सहज साहित्यhttps://www.blogger.com/profile/09750848593343499254noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-23956927011037231002011-07-08T12:11:46.477+05:302011-07-08T12:11:46.477+05:30मैं, तुम और वक्त ...
सदियों से सदियों का तमाशा देख...मैं, तुम और वक्त ...<br />सदियों से सदियों का तमाशा देख रहे हैं|<br />bemisaal.mridula pradhanhttps://www.blogger.com/profile/10665142276774311821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-78494798273757604852011-07-08T08:35:40.726+05:302011-07-08T08:35:40.726+05:30मैं , तुम और वक़्त सदियों से सदियों का तमाशा देख रह...मैं , तुम और वक़्त सदियों से सदियों का तमाशा देख रहे हैं ...<br />गहन भाव !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-75084371979869074122011-07-08T08:07:28.170+05:302011-07-08T08:07:28.170+05:30bhut hi acchi prstuti...bhut hi acchi prstuti...विभूति"https://www.blogger.com/profile/11649118618261078185noreply@blogger.com