tag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post6079998803647264294..comments2024-03-27T19:28:26.722+05:30Comments on लम्हों का सफ़र: 455. अवसाद के क्षण (पुस्तक- नवधा)डॉ. जेन्नी शबनमhttp://www.blogger.com/profile/11843520274673861886noreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-75519772188945195272014-05-13T06:52:33.788+05:302014-05-13T06:52:33.788+05:30मैने इस पर कमेंट दिया था -स्पैम में पड़ा होगा!मैने इस पर कमेंट दिया था -स्पैम में पड़ा होगा!प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-13778612938641405822014-05-12T22:52:51.112+05:302014-05-12T22:52:51.112+05:30वाह , सच कहा आपने । अवसाद को जीकर आनन्द पाना ही जी...वाह , सच कहा आपने । अवसाद को जीकर आनन्द पाना ही जीवन का ध्येय है । आशा की यही किरण तो जीवन को जीने लायक बनाए रखती है ।गिरिजा कुलश्रेष्ठhttps://www.blogger.com/profile/07420982390025037638noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-19799051003820052042014-05-12T20:51:56.032+05:302014-05-12T20:51:56.032+05:30भावपूर्ण रचना...बहुत बहुत बधाई...
नयी पोस्ट@आप की ...भावपूर्ण रचना...बहुत बहुत बधाई...<br />नयी पोस्ट<a href="http://pbchaturvedi.blogspot.in/" rel="nofollow">@आप की जब थी जरुरत आपने धोखा दिया </a><br />प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' https://www.blogger.com/profile/03784076664306549913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-19288031830457708142014-05-12T19:21:18.228+05:302014-05-12T19:21:18.228+05:30अवसाद
ठहर कर चिंतन का क्षण है
स्वयं को समझने का ...अवसाद <br />ठहर कर चिंतन का क्षण है <br />स्वयं को समझने का <br />स्वयं के साथ रहने का <br />अवसर है,<br /><br />बहुत सही कहा।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-76537182179024881192014-05-12T19:11:47.896+05:302014-05-12T19:11:47.896+05:30ब्लॉग बुलेटिन की ८५० वीं बुलेटिन खेल खतम पैसा हजम...ब्लॉग बुलेटिन की ८५० वीं बुलेटिन <a href="http://bulletinofblog.blogspot.in/2014/05/850.html" rel="nofollow"> खेल खतम पैसा हजम - 850 वीं ब्लॉग बुलेटिन </a> मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !ब्लॉग बुलेटिनhttps://www.blogger.com/profile/03051559793800406796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-67770558456183466742014-05-12T19:05:00.518+05:302014-05-12T19:05:00.518+05:30अवसाद के खारे सागर में डुबकी लगाकर ही आनन्द के रत्...अवसाद के खारे सागर में डुबकी लगाकर ही आनन्द के रत्न पाये जा सकते हैं!! बहुत ही सुन्दर कविता!! चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-74281644524838063462014-05-12T18:14:16.691+05:302014-05-12T18:14:16.691+05:30सच कहा जेन्नी जी। अच्छा सन्देश देती रचना।
~सादर ...सच कहा जेन्नी जी। अच्छा सन्देश देती रचना। <br /><br />~सादर <br />अनिता ललित Anita Lalit (अनिता ललित ) https://www.blogger.com/profile/01035920064342894452noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-3279918163065430102014-05-12T18:08:07.609+05:302014-05-12T18:08:07.609+05:30अवसाद के बाद जिंदगी के लिए नयी राह खुलती है अवसाद के बाद जिंदगी के लिए नयी राह खुलती है Anju (Anu) Chaudharyhttps://www.blogger.com/profile/01082866815160186295noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-67434506199279071212014-05-12T11:51:13.960+05:302014-05-12T11:51:13.960+05:30सच है कठिनाई के पलों में ही जीवन का मजबूत संबल मिल...सच है कठिनाई के पलों में ही जीवन का मजबूत संबल मिल पाता है ... दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-52986468247774423592014-05-12T09:29:41.215+05:302014-05-12T09:29:41.215+05:30अवसाद से पार पाना ही उत्तम.
नई पोस्ट : कालबेलियों...अवसाद से पार पाना ही उत्तम.<br />नई पोस्ट : <a href="http://dehatrkj.blogspot.in/2014/05/blog-post_8.html" rel="nofollow"> कालबेलियों की दुनियां</a><br /> राजीव कुमार झा https://www.blogger.com/profile/13424070936743610342noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-84095649842956000922014-05-12T07:47:48.476+05:302014-05-12T07:47:48.476+05:30अच्छा विचार !
बेटी बन गई बहूअच्छा विचार !<br /><a href="http://kpk-vichar.blogspot.in/2014/05/blog-post_11.html#links" rel="nofollow"> बेटी बन गई बहू</a>कालीपद "प्रसाद"https://www.blogger.com/profile/09952043082177738277noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-64746505115415727602014-05-12T05:47:47.682+05:302014-05-12T05:47:47.682+05:30बहुत सकारात्मक द़्ष्टि है -अवसाद के क्षणों का उपयो...बहुत सकारात्मक द़्ष्टि है -अवसाद के क्षणों का उपयोग - भटकाव या पलायन नहीं, सिर्फ़ अपने साथ रह जाने की मनस्थिति! प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-42176801958340627102014-05-12T05:34:20.434+05:302014-05-12T05:34:20.434+05:30बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
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आपकी इस प्रविष्टि् की च...बहुत सुन्दर प्रस्तुति।<br />--<br /> आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज सोमवार (12-05-2014) को <a href="http://charchamanch.blogspot.in/2014/05/1610.html" rel="nofollow"> ""पोस्टों के लिंक और टीका" (चर्चा मंच 1610) </a> पर भी है।<br />--<br />हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।<br />सादर...!<br />डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.com