tag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post6686204050786081568..comments2024-03-27T19:28:26.722+05:30Comments on लम्हों का सफ़र: 248. न मंज़िल न ठिकाना है (तुकांत)डॉ. जेन्नी शबनमhttp://www.blogger.com/profile/11843520274673861886noreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-17152131939674648132011-06-04T04:59:28.112+05:302011-06-04T04:59:28.112+05:30रोज़ जन्म लेती है शब !
किस्मत का खेल पुराना है ।
इ...रोज़ जन्म लेती है शब !<br />किस्मत का खेल पुराना है ।<br />इश्क में गुमनाम होकर ,नया इतिहास रचाना है .<br />आजमा चुके जिनको ,<br />फिर से आजमाना है ।<br />खेल पुराना ,फिर भी नया ये ज़माना है ।<br />भावों को कुरेदती सी गुज़र जाती है आपकी ग़ज़ल .मर हवा .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-27078033511299381802011-06-04T04:57:27.055+05:302011-06-04T04:57:27.055+05:30रोज़ जन्म लेती है शब !
किस्मत का खेल पुराना है ।
इ...रोज़ जन्म लेती है शब !<br />किस्मत का खेल पुराना है ।<br />इश्क में गुमनाम होकर ,नया इतिहास रचाना है .<br />आजमा चुके जिनको ,<br />फिर से आजमाना है ।<br />खेल पुराना ,फिर भी नया ये ज़माना है ।<br />भावों को कुरेदती सी गुज़र जाती है आपकी ग़ज़ल .मर हवा .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-54631076569399506572011-06-02T16:37:29.247+05:302011-06-02T16:37:29.247+05:30बहुत सुंदर रचना है। वाकई
शमा से लिपटकर अब
बिगड़ा ...बहुत सुंदर रचना है। वाकई<br /><br />शमा से लिपटकर अब<br />बिगड़ा नसीब बनाना है!<br />पलभर जल के शिद्दत से <br />परवाने सा मर जाना है!महेन्द्र श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09549481835805681387noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-56899789311590907782011-06-02T08:22:01.358+05:302011-06-02T08:22:01.358+05:30इश्क में गुमनाम होकर
नया इतिहास रचाना है!
रोज़ जन्...इश्क में गुमनाम होकर<br />नया इतिहास रचाना है!<br />रोज़ जन्म लेती है ''शब''<br />किस्मत का खेल पुराना है!<br />sunder yahi khel chalta aaraha hai<br />rachanaRachanahttps://www.blogger.com/profile/15249225250149760362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-26871246498715494922011-05-31T17:15:58.497+05:302011-05-31T17:15:58.497+05:30है बेनाम सा कोई नाता
यूँ हीं अनाम निभाना है!
जेन्न...है बेनाम सा कोई नाता<br />यूँ हीं अनाम निभाना है!<br />जेन्नी शबनम जी वास्तव में रिश्तों का महत्त्व उनको निभाने में ही है । आपकी पूरी कविता में आज का सामाजिक यथार्थ चित्रित हुआ है । हम बलपूर्पूवक गढ़े गए रिश्तों को उम्र भर झेलते और ढोते रहते हैं, जबकि रिश्तों की अन्तरंगता ही हमारे जीवन की शक्ति है । आपकी हर कविता मन के हर कोने की पड़ताल कर लेती है । आपकी इस काव्य प्रतिभा को नमन्सहज साहित्यhttps://www.blogger.com/profile/09750848593343499254noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-83336361659198444392011-05-31T07:54:18.502+05:302011-05-31T07:54:18.502+05:30bhut bhut pyar rachna...bhut bhut pyar rachna...विभूति"https://www.blogger.com/profile/11649118618261078185noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-52679152377015131432011-05-30T22:37:13.202+05:302011-05-30T22:37:13.202+05:30wah.....kya baat hai.wah.....kya baat hai.mridula pradhanhttps://www.blogger.com/profile/10665142276774311821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-55191611594607298312011-05-30T22:11:36.919+05:302011-05-30T22:11:36.919+05:30'' ये मन की अभिव्यक्ति का सफ़र है, जो प्रत...'' ये मन की अभिव्यक्ति का सफ़र है, जो प्रति-पल मन में उपजता है...'' ___ जेन्नी शबनम<br /> '' ये मन की अभिव्यक्ति का सफ़र है, जो प्रति-पल मन में उपजता है...'' ___ जेन्नी शबनम जी हाँ डोक्टर शबनम अपने इसी अंदाज़ में लम्हों के सफर के साथ आप और हमारे बीच बहतरीन रचनाएँ बनत रही है ................बहन डोक्टर जेन्नी शबनम नै दिल्ली से भागलपुर यानी बिहार और दिल्ली तक का सफर तय कर आई हैं और अलग अलग राज्यों के लोगों के साथ ..अलग अलग हालातों को देखने के बाद उनकी मन की अभिव्यक्ति का जो सफर चला है उसकी जो उड़ान हुई है इन सब को अल्फाजों में ढाल कर बहन शबनम ने ब्लॉग की दुनिया को खुबुरत अल्फाजों से तर बतर कर दिया है ...............जनवरी २००९ में जब बहन जेन्नी शबनम ने मुनासिब नहीं है मेरा होना ..पहली रचना हिंदी और अंग्रेजी में ब्लॉग लम्हों का सफर पर लिखी तो बस फिर यह लिखती ही रहीं और आज पुरे ढाई साल के लगभग वक्त गुजरने के साथ साथ इनके अल्फाजों की धार पेनी होती जा रही है और इनके अलफ़ाज़ लोगों के जमीर को झकझोर रहे हैं ...ओशो और अमरता प्रतीतं का साहित्य पसंद करने वाली बहन शबनम साहित्य प्रेमी संघ में भी सांझा ब्लोगर हैं ...इनके हर लम्हों के सफर में ऐसा लगता है के जिंदगी की आस और जिंदगी की सांस है ऐसी रचनाकार को बधाई ..अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थानआपका अख्तर खान अकेलाhttps://www.blogger.com/profile/13961090452499115999noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-37336474573255160952011-05-30T19:05:04.274+05:302011-05-30T19:05:04.274+05:30शमा से लिपटकर अब
बिगड़ा नसीब बनाना है!
पलभर जल के ...शमा से लिपटकर अब<br />बिगड़ा नसीब बनाना है!<br />पलभर जल के शिद्दत से <br />परवाने सा मर जाना है!<br /><br />behtareen shabdo ka chayan aur maalaAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/18094849037409298228noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-16457443559060205252011-05-30T18:48:58.794+05:302011-05-30T18:48:58.794+05:30इश्क में गुमनाम होकर
नया इतिहास रचाना है!
रोज़ जन्...इश्क में गुमनाम होकर<br />नया इतिहास रचाना है!<br />रोज़ जन्म लेती है ''शब''<br />किस्मत का खेल पुराना है!<br /><br />अच्छी और प्यारी रचना...वीना श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09586067958061417939noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-36916530482069321742011-05-30T18:25:52.401+05:302011-05-30T18:25:52.401+05:30शमा से लिपटकर अब
बिगड़ा नसीब बनाना है!
पलभर जल के ...शमा से लिपटकर अब<br />बिगड़ा नसीब बनाना है!<br />पलभर जल के शिद्दत से <br />परवाने सा मर जाना है!<br />bahut badhiyaa ...रश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-1246155742721877962011-05-30T18:22:58.801+05:302011-05-30T18:22:58.801+05:30धुंधला है अक्स पर
उसे आँखों में बसाना है
जो भी क...धुंधला है अक्स पर <br />उसे आँखों में बसाना है <br />जो भी कह दे ये दुनिया<br />अब नहीं घबराना है ... <br /><br />मन की कोमल भावनाएं <br />और चंद खूबसूरत शब्द... <br />बहुत सुन्दर काव्य !!daanishhttps://www.blogger.com/profile/15771816049026571278noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-72521791761637406952011-05-30T18:03:28.832+05:302011-05-30T18:03:28.832+05:30रिश्तों को निभाना तो अच्छा है ,यही सच्चा सुख है ; ...रिश्तों को निभाना तो अच्छा है ,यही सच्चा सुख है ; पर ढोना या झेलना सचमुच यातना है । हम अपनी सुविधा के लिए नाम देते हैं , पर सच्चे रिश्ते उससे भी कहीं बड़े होते हैं । इस कविता में आपके उद्गार मन के किनारों ओ भोगोते चलते हैं । ये पंक्तियाँ तो जवाब हैं- है बेनाम सा कोई नाता<br />यूँ हीं अनाम निभाना है!सहज साहित्यhttps://www.blogger.com/profile/09750848593343499254noreply@blogger.com