tag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post8380589951323358878..comments2024-03-27T19:28:26.722+05:30Comments on लम्हों का सफ़र: 346. कभी न मानूँ (पुस्तक - 48)डॉ. जेन्नी शबनमhttp://www.blogger.com/profile/11843520274673861886noreply@blogger.comBlogger22125tag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-40056145413815093782012-06-09T06:25:46.507+05:302012-06-09T06:25:46.507+05:30हर भावनात्मक इंसान को कभी न कभी ऐसे ख़याल ज़रूर आते...हर भावनात्मक इंसान को कभी न कभी ऐसे ख़याल ज़रूर आते हैं.. मुझे भी लगता है..बिलकुल ऐसा ही...फिर क्या...मना लेना पड़ता है खुद को.. खुद ही.. !!Madhureshhttps://www.blogger.com/profile/03058083203178649339noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-39666304784671321272012-05-28T14:00:40.341+05:302012-05-28T14:00:40.341+05:30पढ़े इस लिक पर जाकर
दूसरा ब्रम्हाजी मंदिर आसोतरा...पढ़े इस लिक पर जाकर <br /><a href="http://rajpurohitsamaj-s.blogspot.in/2012/05/blog-post_21.html#comment-form/" rel="nofollow"> दूसरा ब्रम्हाजी मंदिर आसोतरा में जिला बाडमेर राजस्थान में बना हुआ है!.. </a>Sawai Singh Rajpurohithttps://www.blogger.com/profile/12180922653822991202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-84807155779015118852012-05-28T13:57:31.922+05:302012-05-28T13:57:31.922+05:30बहुत ही बेहतरीन लिखा है आपने ....बहुत ही सुन्दर और...बहुत ही बेहतरीन लिखा है आपने ....बहुत ही सुन्दर और बेहतरीन रचना.....आभार !Sawai Singh Rajpurohithttps://www.blogger.com/profile/12180922653822991202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-90448877602422228782012-05-28T06:32:01.219+05:302012-05-28T06:32:01.219+05:30मन रूठता है
मन टूटता है
मन मनाता है
मन मानता है ...मन रूठता है<br />मन टूटता है <br />मन मनाता है <br />मन मानता है <br />और ये सिर्फ मेरा मन जानता है <br />ये मन ही सब-कुछ है....<br />इस मन को प्यार भी आता है<br />और व्यथित भी उसी से होता है<br />उत्तम रचना<br />सादरyashoda Agrawalhttps://www.blogger.com/profile/05666708970692248682noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-84856918803017858552012-05-27T20:59:41.337+05:302012-05-27T20:59:41.337+05:30आपकी अभिव्यक्ति में विद्रोह के स्वर का प्रस्फुटन स...आपकी अभिव्यक्ति में विद्रोह के स्वर का प्रस्फुटन स्वभाविक है। मेरे जहन में एक बात हमेशा कौंधती रहती है या कहें मेरा व्यक्तिगत अनुभव रहा है कि रूठना उस समय अच्छा लगता है जब कोई मनाने वाला होता है,अन्यथा यह अर्थहीन हो जाता है एवं स्थिति उस समय करवट लेती सी प्रतीत होती है जब एक फिल्मी गीत की कुछ पक्तियां- <br /><br />रूठे रब को मनाना आसान है,<br />रूठे दिल को मनाना मुश्किल.<br /><br />जैसी स्थिति से साक्षात्कार हो जाता है । प्रस्तुति अच्छी लगी । मेरे नए पोस्ट'कबीर" पर आपका बेसब्री से इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।प्रेम सरोवरhttps://www.blogger.com/profile/17150324912108117630noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-8163371568636920152012-05-27T18:27:45.319+05:302012-05-27T18:27:45.319+05:30पर अब नहीं
अब तो यम से ही मानूंगी
विद्रोह का बिग...पर अब नहीं <br />अब तो यम से ही मानूंगी <br />विद्रोह का बिगुल <br />बज उठा है !<br /><br />ओह !<br />कवि का विद्रोह ऐसा ही होता है।<br />बढि़या कविता।महेन्द्र वर्माhttps://www.blogger.com/profile/03223817246093814433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-74330477149507198362012-05-26T18:03:27.445+05:302012-05-26T18:03:27.445+05:30widroh zaroori hai....apne apko zinda rakhne ke li...widroh zaroori hai....apne apko zinda rakhne ke liye....uttam rachanaAnamikaghatakhttps://www.blogger.com/profile/00539086587587341568noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-19740551972726423062012-05-26T11:42:03.874+05:302012-05-26T11:42:03.874+05:30इतना सीधा कोई नहीं होता आखिर एक दिन तो बगावत करता ...इतना सीधा कोई नहीं होता आखिर एक दिन तो बगावत करता ही है और रूठने का फायदा भी तभी है जब कोई मनाने वाला हो ...बहुत खूब जेन्नी जी बहुत अच्छा लगा पढ़ केRajesh Kumarihttps://www.blogger.com/profile/04052797854888522201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-46244726565384069482012-05-25T19:12:22.548+05:302012-05-25T19:12:22.548+05:30मन के भावो को शब्दों में उतर दिया आपने.... बहुत खु...मन के भावो को शब्दों में उतर दिया आपने.... बहुत खुबसूरत.....विभूति"https://www.blogger.com/profile/11649118618261078185noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-4793439375442333752012-05-25T17:14:03.763+05:302012-05-25T17:14:03.763+05:30बहुत बढ़िया प्रस्तुति!
आपकी प्रविष्टी की चर्चा कल ...बहुत बढ़िया प्रस्तुति!<br />आपकी प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार के <a href="http://charchamanch.blogspot.in//" rel="nofollow">चर्चा मंच</a> पर लगाई गई है! <br /><a href="http://charchamanch.blogspot.in/" rel="nofollow">चर्चा मंच</a> सजा दिया, देख लीजिए आप।<br />टिप्पणियों से किसी को, देना मत सन्ताप।।<br />मित्रभाव से सभी को, देना सही सुझाव।<br />शिष्ट आचरण से सदा, अंकित करना भाव।।डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-45521948122985761572012-05-25T14:26:02.745+05:302012-05-25T14:26:02.745+05:30सच ! कभी कभी रूठने को दिल सिर्फ इसीलिए करता है की ...सच ! कभी कभी रूठने को दिल सिर्फ इसीलिए करता है की कोई मनाये ..बहुत सुन्दर जिद्द !Sarashttps://www.blogger.com/profile/04867240453217171166noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-3894822676634575312012-05-25T14:12:15.952+05:302012-05-25T14:12:15.952+05:30बहुत सुंदर अभिव्यक्ति,बेहतरीन रचना,,,,,
MY RECENT...बहुत सुंदर अभिव्यक्ति,बेहतरीन रचना,,,,,<br /><br />MY RECENT POST,,,,,<a href="http://dheerendra11.blogspot.in/2012/05/blog-post_23.html" rel="nofollow">काव्यान्जलि,,,,,सुनहरा कल,,,,,</a>धीरेन्द्र सिंह भदौरिया https://www.blogger.com/profile/09047336871751054497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-36888922362147231042012-05-25T11:48:03.862+05:302012-05-25T11:48:03.862+05:30फिर भी बार बार रूठती हूँ
हर बार स्वयं ही मान जाती...फिर भी बार बार रूठती हूँ <br />हर बार स्वयं ही मान जाती हूँ....मन की भावनाओ को बहुत सुन्दर ठंग से व्यक्त किया है और ये भाव सभी में निहित होती है.....खुबसूरत प्रस्तुति...Maheshwari kanerihttps://www.blogger.com/profile/07497968987033633340noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-61105617715122911302012-05-25T09:17:20.925+05:302012-05-25T09:17:20.925+05:30मनाता तो यूँ भी नहीं कोई
फिर भी बार बार रूठती हूँ...मनाता तो यूँ भी नहीं कोई <br />फिर भी बार बार रूठती हूँ <br />हर बार स्वयं ही मान जाती हूँ<br />जानती हूँ कि मेरा रूठना <br />कोई भूचाल नहीं लाता <br />न तो पर्वत को पिघलाता है ......... फिर भी मन करता है कोई मनाये और मैं न मानूंरश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-14678248854886877132012-05-25T00:52:07.087+05:302012-05-25T00:52:07.087+05:30अब तो यम से ही मानूंगी विद्रोह का बिगुल बज उठा ह...अब तो यम से ही मानूंगी विद्रोह का बिगुल बज उठा है ! <br />बहुत सुंदर अभिव्यक्ति,बढ़िया रचना,<br /><br />MY RECENT POST,,,,,<a href="http://dheerendra11.blogspot.in/2012/05/blog-post_23.html" rel="nofollow">काव्यान्जलि,,,,,सुनहरा कल,,,,,</a>धीरेन्द्र सिंह भदौरिया https://www.blogger.com/profile/09047336871751054497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-85169421631846790832012-05-25T00:31:55.136+05:302012-05-25T00:31:55.136+05:30यही नियति है जी ....क्या करें ...रूठते भी हैं तो ख...यही नियति है जी ....क्या करें ...रूठते भी हैं तो खुद ही मानना भी पड़ता हैसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-5377455214303599682012-05-24T23:11:10.188+05:302012-05-24T23:11:10.188+05:30दुनिया सहज चलती है
मन रूठता है
मन टूटता है
मन मना...दुनिया सहज चलती है<br />मन रूठता है<br />मन टूटता है <br />मन मनाता है <br />मन मानता है <br />और ये सिर्फ मेरा मन जानता है <br />Sach! Aisahee hota hai!kshamahttps://www.blogger.com/profile/14115656986166219821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-86080317305062827092012-05-24T21:44:40.926+05:302012-05-24T21:44:40.926+05:30यह रूठना और मनाना...जिन्दगी के साथ यु ही चलता रहता...यह रूठना और मनाना...जिन्दगी के साथ यु ही चलता रहता हैं ..दर्शन कौर धनोयhttps://www.blogger.com/profile/06042751859429906396noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-75169969280041510232012-05-24T20:12:57.759+05:302012-05-24T20:12:57.759+05:30बहुत खुबसूरत रचना..जेन्नी जी...बहुत खुबसूरत रचना..जेन्नी जी...Maheshwari kanerihttps://www.blogger.com/profile/07497968987033633340noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-49230044742469766092012-05-24T20:09:30.346+05:302012-05-24T20:09:30.346+05:30बहुत सुंदर तरह से मन के उद्गार व्यक्त किये हैं ......बहुत सुंदर तरह से मन के उद्गार व्यक्त किये हैं ...!!<br />मन ही मन का सच्चा मीत है |स्वयम से भला कौन रूठता है ...?Anupama Tripathihttps://www.blogger.com/profile/06478292826729436760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-88055592020299631192012-05-24T20:05:06.481+05:302012-05-24T20:05:06.481+05:30bahot sunder kavita hai......bahot sunder kavita hai......mridula pradhanhttps://www.blogger.com/profile/10665142276774311821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-58492584005382662592012-05-24T19:39:17.071+05:302012-05-24T19:39:17.071+05:30अरे इतना गुस्सा????
मान जाइए.....
कहाँ यम को कष्ट...अरे इतना गुस्सा????<br />मान जाइए.....<br /><br />कहाँ यम को कष्ट दे रहीं हैं...<br />:-)ANULATA RAJ NAIRhttps://www.blogger.com/profile/02386833556494189702noreply@blogger.com