tag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post3696816252323940230..comments2024-03-27T19:28:26.722+05:30Comments on लम्हों का सफ़र: 259. आत्मीयता के क्षणडॉ. जेन्नी शबनमhttp://www.blogger.com/profile/11843520274673861886noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-3104478170593147672011-07-01T14:32:07.700+05:302011-07-01T14:32:07.700+05:30जेन्नी जी इन पंक्तियों में- 'का...जेन्नी जी इन पंक्तियों में- 'काश!<br />आत्मीयता के ये अनकहे क्षण<br />अनबूझे ही रहते। आत्मीयता के क्षणों को अनबूझे रहने की बात जो कही है , उसका अपना सौन्दय है । जब बूझ लेंगे तो उन क्षणों का महत्त्व कम हो जाएगा । आपकी इस कविता में भाव-सूत्र बहुत सूक्ष्म रूप में आया है । इन पंक्तियों में आपने पूरा सार तत्त्व उतार दिया है ।सुन्दर लेखन के लिए अनन्त शुभ कामनाएँ!सहज साहित्यhttps://www.blogger.com/profile/09750848593343499254noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-14467211525135822432011-07-01T08:28:27.689+05:302011-07-01T08:28:27.689+05:30खूबसूरत अभिव्यक्ति ,जेन्नी जी आपकी रचनाओ में मनोभा...खूबसूरत अभिव्यक्ति ,जेन्नी जी आपकी रचनाओ में मनोभाव की मार्मिकता कही अन्दर तक स्पर्श करती है बधाईAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/18094849037409298228noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-39843368098547785912011-07-01T05:05:02.393+05:302011-07-01T05:05:02.393+05:30काश आत्मीयता के ये क्षण अबूझे ही रहते ....
काश !काश आत्मीयता के ये क्षण अबूझे ही रहते ....<br />काश !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-72408784342617935602011-06-30T18:53:31.567+05:302011-06-30T18:53:31.567+05:30आपके सुंदर मन से निकले उच्छवास जीवन के सही संदर्भो...आपके सुंदर मन से निकले उच्छवास जीवन के सही संदर्भों में मेरे मन के संवेदनशील तारों को झंकृत कर गए। कभी-कभी मौन रहना भी स्वीकृति का संदेश दे जाता है। आत्मीयता के अप्रतिम क्षणों में हम कितने भी कोरे क्यूं न हों अंतर्मन में उन भावुक क्षणों में एक महाकाव्य सा जीवन की स्वत: सृष्टि हो जाती है एवं हम जिंदगी के उस चौराहे पर पहुँच जाते हैं जहाँ से कोई मंजिल नजर नही आती है।मेरी अपनी मान्यता है कि आत्मीयता के क्षण अनबुझे नही रहते। इस सुंदर एवं भाव-प्रवण प्रस्तुति के लिए आपको मेरी और से अशेष शुभकामनाएं। गुजारिश है-कभी-कभी समय इजाजत दे तो मेरे ब्लाग 'प्रेम सरोवर' पर भी आकर मुझे उचित मार्गदर्शन करने की कोशिश करें।धन्यवाद।प्रेम सरोवरhttps://www.blogger.com/profile/17150324912108117630noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1828680321489310423.post-85379284698579450172011-06-30T10:05:03.681+05:302011-06-30T10:05:03.681+05:30gahan chintan....gahan chintan....विभूति"https://www.blogger.com/profile/11649118618261078185noreply@blogger.com