बुधवार, 11 फ़रवरी 2009

14. तुमने सब दे दिया (अनुबन्ध/तुकान्त) (पुस्तक- नवधा))

तुमने सब दे दिया

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एक इम्तिहान-सा था, कल जो आकर गुज़र गया
वक़्त भी मुस्कुराया, जब तुमने मुझे जिता दिया 

एक वादा था तुम्हारा, कि सँभालोगे तुम मुझे 
लड़खड़ाए थे क़दम मेरे, तुमने निभा दिया 

रिश्ते ये कह गए, कि हम नहीं इस सदी के
इक ख़्वाब था जो साझा, वो मुझको दे दिया 

एक दिन होगा जब आएगी ज़रूर क़यामत 
उससे पहले तुमने हर क़यामत बरपा दिया। 

दहकता रहा मेरा जिस्म, पर तुम न जल सके
भरोसा तुमने 'शब' का, बस पुख़्ता कर दिया 

-जेन्नी शबनम (9. 2. 2009)
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