तुम्हारा कहा क्या टाला मैंने
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तुम कहते हो हँसती रहा करो
दुनिया ख़ूबसूरत है जिया करो
कभी आकर देख भी जाओ
तुम्हारा कहा क्या टाला मैंने?
हँसती ही रहती हूँ हर मुनासिब वक़्त
सभी पूछते हैं मैं क्यों इतना हँसती हूँ
नहीं देखा किसी ने मुझे मुर्झाए हुए
अपने किसी भी दर्द पर रोते हुए।
पर अब थक गई हूँ
अक्सर आँखें नम हो जाती हैं
शायद हँसी की सीमा ख़त्म हो रही या
ख़ुद को भ्रमित करने का साहस नहीं रहा।
पर तुम्हारा कहा अब तक जिया मैंने
हर वादा अब तक निभाया मैंने
एक बार आकर देख जाओ
तुम्हारा कहा क्या टाला मैंने।
- जेन्नी शबनम (8. 12. 2010)
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तुम कहते हो हँसती रहा करो
दुनिया ख़ूबसूरत है जिया करो
कभी आकर देख भी जाओ
तुम्हारा कहा क्या टाला मैंने?
हँसती ही रहती हूँ हर मुनासिब वक़्त
सभी पूछते हैं मैं क्यों इतना हँसती हूँ
नहीं देखा किसी ने मुझे मुर्झाए हुए
अपने किसी भी दर्द पर रोते हुए।
पर अब थक गई हूँ
अक्सर आँखें नम हो जाती हैं
शायद हँसी की सीमा ख़त्म हो रही या
ख़ुद को भ्रमित करने का साहस नहीं रहा।
पर तुम्हारा कहा अब तक जिया मैंने
हर वादा अब तक निभाया मैंने
एक बार आकर देख जाओ
तुम्हारा कहा क्या टाला मैंने।
- जेन्नी शबनम (8. 12. 2010)
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पर अब थक गई हूँ
जवाब देंहटाएंअक्सर आँखें नम हो जाती हैं,
शायद हँसी की सीमा ख़त्म हो रही या
ख़ुद को भ्रमित करने का साहस नहीं रहा !
khubsurat ahsass rachna achhi lagi
अब थक गई हूँ
जवाब देंहटाएंअक्सर आँखें नम हो जाती हैं,
शायद हँसी की सीमा ख़त्म हो रही या
ख़ुद को भ्रमित करने का साहस नहीं रहा !
sach me nahi raha , bahut hi bhawook karti rachna
आपकी यह रचना कल के ( 11-12-2010 ) चर्चा मंच पर है .. कृपया अपनी अमूल्य राय से अवगत कराएँ ...
जवाब देंहटाएंhttp://charchamanch.uchcharan.com
.
इस पथरीले समाज में हंसी की सीमाएं कहीं तो खतम हो ही जाएँगी.
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंलबों पर जब मुस्कुराहट होगी
जवाब देंहटाएंतभी जिन्दगी की आहट होगी
ek acchi nazm hai.... prem ko, rishte ko samarpit....
जवाब देंहटाएंहँसती हीं रहती हूँ हर मुनासिब वक़्त
जवाब देंहटाएंसभी पूछते हैं मैं क्यों इतना हँसती हूँ,
नहीं देखा किसी ने मुझे मुरझाये हुए
किसी भी दर्द पर रोते हुए !
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बहुत ही सुन्दर और मार्मिक प्रस्तुति!
शायद हँसी की सीमा ख़त्म हो रही या
जवाब देंहटाएंख़ुद को भ्रमित करने का साहस नहीं रहा !
हर चीज़ की एक सीमा जो होती है आखिर कब तक मुस्कुराये कोई…………सुन्दर प्रस्तुति।
sundar abhivyakti!
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छा.....मेरा ब्लागः-"काव्य-कल्पना" at http://satyamshivam95.blogspot.com/ ....आप आये और मेरा मार्गदर्शन करे...धन्यवाद
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छा.....मेरा ब्लागः-"काव्य-कल्पना" at http://satyamshivam95.blogspot.com/ ....आप आये और मेरा मार्गदर्शन करे...धन्यवाद
जवाब देंहटाएंजेन्नी शबनम जी इन पंक्तियों में गहरा अवसाद छुपा हुआ है -पर तुम्हारा कहा अब तक जिया मैंने
जवाब देंहटाएंहर वादा अब तक निभाया मैंने,
एक बार आ कर देख जाओ
तुम्हारा कहा क्या टाला मैंने ! हर शब्द में व्यथा का पूरा समन्दर लहरा रहा है । आपकी यह लेखनी नित नया सर्जन करती रहे ।
अच्छे और सच्चे भाव.....मन के भावों की भावपूर्ण अभिव्यक्ति...हम में से कईयों के दिल के करीब..हंसती हुई आँखों की नमी शायद ही किसी को दिखाई देती है....शुक्रिया
जवाब देंहटाएंअब थक गई हूँ
जवाब देंहटाएंअक्सर आँखें नम हो जाती हैं,
शायद हँसी की सीमा ख़त्म हो रही या
ख़ुद को भ्रमित करने का साहस नहीं रहा !गहन अभिवयक्ति......