अजनबियों-सा सलाम
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मुलाक़ात भी होगी
नज़रों से एहतराम भी होगा
दो अजनबियों-सा कोई सलाम तो होगा।
- जेन्नी शबनम (6. 4. 2011)
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मुलाक़ात भी होगी
नज़रों से एहतराम भी होगा
दो अजनबियों-सा कोई सलाम तो होगा।
- जेन्नी शबनम (6. 4. 2011)
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salaam zaroor hoga......bahut achchi lagi.
जवाब देंहटाएंमुलाक़ात भी होगी
जवाब देंहटाएंनज़रों से एहतराम भी होगा,
दो अजनबियों सा कोई सलाम तो होगा!
-इन तीन पंक्तियों में आपने सारे अभिवादन समेट लिये हैं। जहाँ नितान्त अपनापन हो , वहाँ सारे अभिवादन और औपचारिकताएँ साथ छोड़ देती हैं । जो रह जाता है , वह सिर्फ़ एक तरल संवेदना , जिसे हृदय महसूस करता है , भाषा मूक होकर रह जाती है । बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति !
जरुर होगा...
जवाब देंहटाएंलूट जायेगे मिट जायेगे ...दिल मिलने का सब खेल , दीवाने फिर भी चाहेगे ...
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा शेर लिखा है आपने।
जवाब देंहटाएंzarur zarur hoga
जवाब देंहटाएंMAM BAHUT ACHCHHA SHER HAI. SALAM.
जवाब देंहटाएंएक अजनबी का सलाम आपके लिए...।
जवाब देंहटाएंप्रियंका