तुम मेरे दोस्त जो हो
*******
मेरे लिए एक काम कर दोगे
''ज़हर ला दोगे
बहुत थक गई हूँ
ज़िन्दगी से ऊब गई हूँ'',
जानती हूँ, तुम ऐसा नहीं करोगे
कभी ज़हर नहीं ला दोगे
मेरी मृत्यु सह नहीं सकते
फिर भी कह बैठती हूँ तुमसे।
*******
मेरे लिए एक काम कर दोगे
''ज़हर ला दोगे
बहुत थक गई हूँ
ज़िन्दगी से ऊब गई हूँ'',
जानती हूँ, तुम ऐसा नहीं करोगे
कभी ज़हर नहीं ला दोगे
मेरी मृत्यु सह नहीं सकते
फिर भी कह बैठती हूँ तुमसे।
तुम भी जानते हो
मुझमें मरने का साहस नहीं
न जीने की चाहत बची है
पर हर बार जब-जब हारती हूँ
तुमसे ऐसा ही कहती हूँ।
तुम्हारे काँधे पे मेरा माथा
सहारा और भरोसा तुम ही तो देते हो
मेरे हर सवाल का जवाब भी
तुम ही देते हो
बिना रोके बिना टोके
शायद तुम ही हो
जो मेरे गुस्से को सह लेते हो
मेरे आँसुओं को बदल देते हो।
कई बार सोचती हूँ
तुम्हारी ग़लती नहीं
दुनिया से नाराज़ हूँ
फिर क्यों ख़फ़ा होती हूँ तुम पर
क्यों खीझ निकालती हूँ तुम पर
तुम चुपचाप सब सुनते हो
मुझे राहत देते हो।
मुझमें मरने का साहस नहीं
न जीने की चाहत बची है
पर हर बार जब-जब हारती हूँ
तुमसे ऐसा ही कहती हूँ।
तुम्हारे काँधे पे मेरा माथा
सहारा और भरोसा तुम ही तो देते हो
मेरे हर सवाल का जवाब भी
तुम ही देते हो
बिना रोके बिना टोके
शायद तुम ही हो
जो मेरे गुस्से को सह लेते हो
मेरे आँसुओं को बदल देते हो।
कई बार सोचती हूँ
तुम्हारी ग़लती नहीं
दुनिया से नाराज़ हूँ
फिर क्यों ख़फ़ा होती हूँ तुम पर
क्यों खीझ निकालती हूँ तुम पर
तुम चुपचाप सब सुनते हो
मुझे राहत देते हो।
कई बार मन होता है
तुमसे अपना नाता तोड़ लूँ
अपने ज़ख़्म ख़ुद में समेट रखूँ
पर न जाने क्यों
किस्त-किस्त में सब कह जाती हूँ तुमसे।
तुमसे अपना नाता तोड़ लूँ
अपने ज़ख़्म ख़ुद में समेट रखूँ
पर न जाने क्यों
किस्त-किस्त में सब कह जाती हूँ तुमसे।
शायद यह भी कोई नाता है
जन्म का तो नहीं पर जन्मों का रिश्ता है
इसलिए बेख़ौफ़
कभी ज़हर माँगती
जन्म का तो नहीं पर जन्मों का रिश्ता है
इसलिए बेख़ौफ़
कभी ज़हर माँगती
कभी नज़र माँगती
कभी रूठ जाती हूँ
महज़ इस बात के लिए कि
मेरे लिए मृत्यु क्यों नहीं ख़रीद लाये
तुम बहुत कंजूस हो।
जानती हूँ
तुम मेरे दोस्त जो हो
मेरे लिए मौत नहीं
सदैव ज़िन्दगी लाते हो।
- जेन्नी शबनम (7. 8. 2011)
(मित्रता दिवस पर)
कभी रूठ जाती हूँ
महज़ इस बात के लिए कि
मेरे लिए मृत्यु क्यों नहीं ख़रीद लाये
तुम बहुत कंजूस हो।
जानती हूँ
तुम मेरे दोस्त जो हो
मेरे लिए मौत नहीं
सदैव ज़िन्दगी लाते हो।
- जेन्नी शबनम (7. 8. 2011)
(मित्रता दिवस पर)
_____________________
मित्रता दिवस पर बेहतरीन रचना।
जवाब देंहटाएंbahut hi pyari rachna.
जवाब देंहटाएंWish for you-- all true friends be in your life and one critic who doesn't harm you but shows you your true face time to time.
Shubhkamnayen
Bhavpurn or gahri rachna.....
जवाब देंहटाएंMitrta divas ki bdhai...
Jai hind jai bharat
बहुत खूबसूरत अंदाज़ में पेश की गई है पोस्ट......मित्रता दिवस की शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंise kahate hai "Gahan Mitrata"..bahut khoob..aabhar
जवाब देंहटाएंsunder bhavon ki kavita
जवाब देंहटाएंmitrata divas ki bahut bahut shubhkamnaye
rachana
jenny bahn kyaa baat hai bhtrin rachnaa lekin aajkal koi kisi ke liyen zahar laaye ya na laaye srkar ki nitiyaa to sabhi khane pine ki chizon me zhar baant rahi hain ..akhtr khan akela kota rajsthan
जवाब देंहटाएंbhaut hi sundar rachna... happy friendshipday....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएँ!
भावपूर्ण रचना
जवाब देंहटाएंमहज़ इस बात केलिए कि
मेरे लिए मृत्यु क्यों नहीं खरीद लाये
तुम बहुत कंजूस हो|
दिल को छू गयी आपकी ये रचना..
मित्रता दिवस की शुभकामनायें।
आभार !
लाजवाब प्रस्तुति ......बहुत खूब |
जवाब देंहटाएं'तुम मेरे दोस्त जो हो'-कविता की गहराई दिल के तार झंकृत कर देती है । ऐसे ही कंजूस दोस्त सही हैं-किश्त किश्त में सब कह जाती तुमसे|
जवाब देंहटाएंशायद ये भी कोई नाता है
जन्म का तो नहीं
पर जन्मों का रिश्ता है,
इसलिए बेख़ौफ़
कभी ज़हर मांगती
कभी नज़र मांगती,
कभी रूठ जाती हूँ
-यह जन्मों का रिश्ता ही है जो दूर बैठे को नज़दीक ले आता है और कुछ नज़दिक होकर भी दूर बने रहते हैं । मैती दिवस पर एक अच्छी कविता पढ़ने का अवसर देने के लिए हार्दिक बधाई !
बहुत खूबसूरत रचना, जन्मों का रिश्ता है,
जवाब देंहटाएंदोस्त हमेशा जिंदगी ही मानते हैं ...
जवाब देंहटाएंसही !
बहुत सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी रचना !
जवाब देंहटाएंहार्दिक शुभकामनायें !
ये सब दिवस या डे मुझे फालतू लगते हैं लेकिन यह कविता तो अच्छी लगी।
जवाब देंहटाएं