मेरे शब्द
*******
बहुत कठिन है, पार जाना
ख़ुद से, और उन तथाकथित अपनों से
जिनके शब्द मेरे प्रति
सिर्फ़ इसलिए निकलते हैं कि
मैं आहत हो सकूँ,
खीझकर मैं भी शब्द उछालूँ
ताकि मेरे ख़िलाफ़
एक और मामला
जो अदालत में नहीं
रिश्तों के हिस्से में पहुँचे
और फिर शब्दों द्वारा
मेरे लिए, एक और मानसिक यंत्रणा।
नहीं चाहती हूँ
कि ऐसी कोई घड़ी आए
जब मैं भी बेअख़्तियार हो जाऊँ
और मेरे शब्द भी।
मेरी चुप्पी अब सीमा तोड़ रही है
जानती हूँ, अब शब्दों को रोक न सकूँगी
ज़ेहन से बाहर आने पर
मुमकिन है ये तरल होकर
आँखों से बहे या
*******
बहुत कठिन है, पार जाना
ख़ुद से, और उन तथाकथित अपनों से
जिनके शब्द मेरे प्रति
सिर्फ़ इसलिए निकलते हैं कि
मैं आहत हो सकूँ,
खीझकर मैं भी शब्द उछालूँ
ताकि मेरे ख़िलाफ़
एक और मामला
जो अदालत में नहीं
रिश्तों के हिस्से में पहुँचे
और फिर शब्दों द्वारा
मेरे लिए, एक और मानसिक यंत्रणा।
नहीं चाहती हूँ
कि ऐसी कोई घड़ी आए
जब मैं भी बेअख़्तियार हो जाऊँ
और मेरे शब्द भी।
मेरी चुप्पी अब सीमा तोड़ रही है
जानती हूँ, अब शब्दों को रोक न सकूँगी
ज़ेहन से बाहर आने पर
मुमकिन है ये तरल होकर
आँखों से बहे या
फिर शीशा बनकर
उन अपनों के बदन में घुस जाए
जो मेरी आत्मा को मारते रहते हैं।
मेरे शब्द
अब संवेदनाओं की भाषा
उन अपनों के बदन में घुस जाए
जो मेरी आत्मा को मारते रहते हैं।
मेरे शब्द
अब संवेदनाओं की भाषा
और दुनियादारी समझ चुके हैं।
- जेन्नी शबनम (22. 10. 2011)
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- जेन्नी शबनम (22. 10. 2011)
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नहीं चाहती हूँ
जवाब देंहटाएंकि ऐसी कोई घड़ी आये
जब मैं भी बे अख्तियार हो जाऊं
और मेरे शब्द भी !...uski yantrana bhi neend le jati hai...
दीपावली की शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंदीपावली की हार्दिक शुभकामनाओ के साथ ………
जवाब देंहटाएंआपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति आज के तेताला का आकर्षण बनी है
तेताला पर अपनी पोस्ट देखियेगा और अपने विचारों से
अवगत कराइयेगा ।
http://tetalaa.blogspot.com/
शब्दों को रोक न सकुंगी
जवाब देंहटाएंज़ेहन से बाहर आने से
मुमकिन है ये तरल होकर
आँखों से बहे या
फिर शीशा बनकर
उन अपनों के बदन में घुस जाए....
अद्भुत रचना....
सादर...
jenny di aapke shabd sach me bahut kuchh kah jate hain:)
जवाब देंहटाएंकल के चर्चा मंच पर, लिंको की है धूम।
जवाब देंहटाएंअपने चिट्ठे के लिए, उपवन में लो घूम।।
--
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ!
नहीं चाहती हूँ
जवाब देंहटाएंकि ऐसी कोई घड़ी आये
जब मैं भी बे अख्तियार हो जाऊं
और मेरे शब्द भी !
नियंत्रण तो आवश्यक है ही...
सुन्दर भाव!
मेरे शब्द
जवाब देंहटाएंअब संवेदनाओं की भाषा
और दुनियादारी
समझ चुके हैं !
बहुत सारगर्भित अभिव्यक्ति...बहुत सुन्दर...दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें!
मेरे शब्द
जवाब देंहटाएंअब संवेदनाओं की भाषा
और दुनियादारी
समझ चुके हैं !
वाह ।
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएंbahut sundar bhaav.happy diwali.
जवाब देंहटाएंप्रभावशाली प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआपको और आपके प्रियजनों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें….!
संजय भास्कर
आदत....मुस्कुराने की
नई पोस्ट पर आपका स्वागत है
http://sanjaybhaskar.blogspot.com
एक और
जवाब देंहटाएंमामला
जो अदालत में नहीं
रिश्तों के हिस्से में पहुंचे
और फिर
मेरे लिए शब्दों द्वारा
एक और
मानसिक यंत्रणा !
-इन पंक्तियों में अपनों( वे अपने जो भावना का ख्याल ही नहीं रखते) के कृत्य को बखूबी चित्रित किया गया है।
बहुत खूबसूरत रचना |
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत रचना |
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