गुरुवार, 12 अप्रैल 2012

339. बेसब्र इन्तिज़ार (क्षणिका)

बेसब्र इन्तिज़ार 

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कितने सपने, कितने इम्तिहान
अगले जन्म का बेसब्र इन्तिज़ार
कमबख़्त ये जन्म तो ख़त्म हो। 

-जेन्नी शबनम (12.4.2012)
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16 टिप्‍पणियां:

  1. यह कहाँ है अपने हाथ में ..

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  2. yyah janm khatm bhee ho jaayegaa
    to bhee agle mein yahee milegaa
    isliye jab tak ho khushee se jee lo

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  3. त्रिवेणीनुमा रचना अच्छी लगी।
    लेकिन अगले जन्म का इंतज़ार क्यों.. इस जन्म में ही करने को कितना कुछ है..

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  4. कल 14/04/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  5. कितने सपने कितने इम्तहान अगले जन्म का बेसब्र इंतज़ार, कमबख्त ये जन्म तो खत्म हो...

    अनुपम भाव लिए सुंदर रचना...बेहतरीन पोस्ट .

    MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: आँसुओं की कीमत,....

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  6. अंदाज़ पसंद आया..
    शुभकामनायें आपको !!

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  7. अरे नहीं नहीं......

    इस्सी जन्म में पूरे होंगे सभी सपने...........
    :-)

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  8. Ye to gajab ki baat kahi aapne ek dum :D

    palchhin-aditya.blogspot.in

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  9. कमबख्त ये जन्म तो खत्म हो !
    और खत्म हो जीवन की नज़्म भी

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  10. आपकी सभी प्रस्तुतियां संग्रहणीय हैं। .बेहतरीन पोस्ट .
    मेरा मनोबल बढ़ाने के लिए के लिए
    अपना कीमती समय निकाल कर मेरी नई पोस्ट मेरा नसीब जरुर आये
    दिनेश पारीक
    http://dineshpareek19.blogspot.in/2012/04/blog-post.html

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  11. वर्तमान से बेहतर भविष्य की कामना।

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