अंतिम परिणति
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बाबू! तुम दूर जो गए
सपनों से भी रूठ गए
कर जोड़ गुहार मेरी
तनिक न ली सुध मेरी
लोर बहते नहीं अकारण
जानते हो तुम भी कारण
हर घड़ी है अंतिम पल
जाने कब रुके समय-क्रम।
बाबू! तुम क्यों नही समझते
पीर मेरी जो मन दुखाते
तुम्हारे जाने यही उचित
पर मेरा मन करता भ्रमित
एक बार तुम आ जाना
सपने मेरे तुम ले आना
तुम्हारी प्रीत मन में बसी
भले जाओ तुम रहो कहीं।
बाबू! देखो जीवन मेरा
छवि मेरी छाया तुम्हारा
संग-संग भले हैं दिखते
छाया को भला कैसे छूते
दर्पण देख ये भान होता
नहीं विशेष जो तुम्हें खींचता
बिछोह-रुदन बन गई नियति
प्रेम-कथा की अंतिम परिणति!
- जेन्नी शबनम (16. 4. 2012)
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बिछोह-रुदन बन गई नियति
जवाब देंहटाएंप्रेम-कथा की अंतिम परिणति !
गहन प्रेम की पीड़ा ...एक टीस दे रही है ....!!
बहुत सुंदर रचना ....
शुभकामनायें ....
रुदन बन गई नियति
जवाब देंहटाएंप्रेम-कथा की अंतिम परिणति !
बहुत बढ़िया प्रस्तुति,सुंदर अभिव्यक्ति,बेहतरीन रचना,...
MY RECENT POST काव्यान्जलि ...: कवि,...
वाह...............
जवाब देंहटाएंप्रेमपगी अभिव्यक्ति.....
बहुत सुंदर...
बिछोह-रुदन बन गई नियति
जवाब देंहटाएंप्रेम-कथा की अंतिम परिणति ..kavita ka sundar smapan
गहरे उतरते भाव...... बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबाबू तुम दूर जो गए
जवाब देंहटाएंसपनों से भी रूठ गए
कर जोड़ गुहार मेरी
तनिक न ली सुध मेरी
लोर बहते नहीं अकारण
जानते हो तुम भी कारण
हर घड़ी है अंतिम पल
जाने कब रुके समय-चक्र
बाबू तुम क्यों नही समझते
पीर मेरी जो मन दुखाते
तुम्हारे जाने यही उचित
पर मेरा मन करता भ्रमित
एक बार तुम आ जाना
सपने मेरे तुम ले आना
तुम्हारी प्रीत मन में बसी
भले जाओ तुम रहो कहीं
डॉ० जेन्नी शबनम जी बहुत ही उम्दा कविता बधाई
जोरदार ।
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति ।
बधाई ।।
बाबू देखो जीवन मेरा
जवाब देंहटाएंछवि मेरी छाया तुम्हारा
संग-संग भले हैं दीखते
छाया को भला कैसे छूते
दर्पण देख ये भान होता
नहीं विशेष जो तुम्हें खींचता
बिछोह-रुदन बन गई नियति
प्रेम-कथा की अंतिम परिणति !
बेहतरीन भाव लिए अति सुन्दर रचना
बहुत बढ़िया प्रस्तुति,सुंदर रचना,...
जवाब देंहटाएंMY RECENT POST काव्यान्जलि ...: कवि,...
बहुत ही मर्म स्पर्शी।
जवाब देंहटाएंसादर
कल 20/04/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
सुन्दर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया रचना।
जवाब देंहटाएंsunder.....bhawpoorn.
जवाब देंहटाएंबिछोह-रुदन बन गई नियति
जवाब देंहटाएंप्रेम-कथा की अंतिम परिणति !
मार्मिक !
गहन पीड़ा .....दर्द की स्याही से लिखी आपकी कविता कई प्रश्न उठाती है...
जवाब देंहटाएंप्रेम में डूबी रचना
जवाब देंहटाएंविरह का सजीव चित्रण ...
जवाब देंहटाएंविरह का सजीव चित्रण ...
जवाब देंहटाएंSunder abhivyakti ... sunder bhav k liye aapko dhero badhai ...
जवाब देंहटाएंबाबू तुम क्यों नही समझते
जवाब देंहटाएंपीर मेरी जो मन दुखाते very nice.....
बिछोह-रुदन बन गई नियति
जवाब देंहटाएंप्रेम-कथा की अंतिम परिणति !!
sundar abhivyakti!