नया घोसला
प्यारी चिड़िया
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टुक-टुक देखती
टूटा घोसला
फूटे जो सारे अंडे
सारे के सारे
मरे अजन्मे चूजे,
चीं-चीं करके
फिर चिड़िया रोती
सहमी हुई
हताश निहारती
अपनी पीड़ा
वो किससे बाँटती
धीर धरती ।
जोड़-जोड़ तिनका
बसेरा बसा
कितने बरस व
मौसम बीते
अब सब बिखरा
कुछ न बचा
जिसे कहे आशियाँ,
बचे न निशाँ
पुराना झरोखा व
मकान टूटा
अब घोसला कहाँ ?
चिड़िया सोचे -
चिड़ा जब आएगा
वो भी रोएगा
अपनी चिड़िया का
दर्द सुनेगा
मनुष्य की क्रूरता
चुप सहेगा
संवेदना का पाठ
वो सिखाएगा !
चिड़ा आया दौड़ के
चीं-चीं सुनके
फिर सिसकी ले के
आँसू पोछ के
चिड़ी बोली चिड़े से -
चलो बसाएँ
आओ तिनके लाएँ
नया घोसला
हम फिर सजाएँ
ठिकाना खोजें
शहर से दूर हो
जंगल करीब हो !
- जेन्नी शबनम (सितम्बर 29, 2012)
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बहुत सुन्दर......
जवाब देंहटाएंइंसान बड़ा कमज़र्फ हुआ जाता है इन दिनों....
सादर
अनु
Ghonsala toot jane ka dard to asahneey hota hai...behad sundar rachana.
जवाब देंहटाएंप्यारी चिड़िया
जवाब देंहटाएंटुक-टुक देखती
टूटा घोसला।।।।।।घौंसला ...........
आँसू पोछ के ............पोंछ .......
चिड़ी बोली चिड़े से -
चलो बसाएँ
आओ तिनके लाएँ
नया घोसला ........घौंसला
नीड़ का निर्माण ,करते पक्षी बार बार ......
न जाने किस तरह तो रात भर छप्पड़ बनाते हैं ,
सवेरे ही सवेरे आंधियां फिर लौट आतीं हैं .
बढ़िया प्रस्तुति .
ram ram bhai
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बुधवार, 10 अक्तूबर 2012
वाड्रा गीत
वाड्रा गीत
सबसे प्यारा देश हमारा ,
घोटालों में सबसे न्यारा ,
आओ प्यारे बच्चों आओ ,
घोटालों पर बलि बलि जाओ .........
बहुत सुन्दर मर्मस्पशी .आपने याद दिला दी
जवाब देंहटाएंहमारी उम्र बीत गई आशियाँ बनाने में
उन्हें समय नहीं लगा आशियाँ जलने में
मनुष्य पिघलेगा अपनी क्रूरता के आगे - ?
जवाब देंहटाएंबेचारी चिड़िया
आज के परिवेश में ऐसे चिड़ि-चिड़ियाँ जिनका आशियाँ टूटता रहता है, जिनके अंडे फोड़ दिए जा रहे हैं.. उनके लिए कोई खड़ा भी नहीं हो रहा.. बेबस, निर्लज समाज..
जवाब देंहटाएंक्रूरता का अंत हो.. जल्द हो.. यहीं कामना करता हूँ..
हादसे जीवन में हुआ करते हैं ......लेकिन जीवन को हादसा बनाने से कुछ न हासिल होगा .....चलो एक नए सिरे से फिर जीना सीखें ...फिर एक आशियाँने की नींव डालें हम
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर अभिव्यक्ति ,,,,,,
जवाब देंहटाएंMY RECENT POST: माँ,,,
चलो बसाएँ
जवाब देंहटाएंआओ तिनके लाएँ
नया घोसला
हम फिर सजाएँ
ठिकाना खोजें
शहर से दूर हो
जंगल करीब हो !
sahi hai aaj shahr aese hi hain
rachana
हम फिर सजाएँ
जवाब देंहटाएंठिकाना खोजें
शहर से दूर हो
जंगल करीब हो !
गम होती गोरैया यही फ़रियाद कर रही है
bhawpoorn......
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