सोमवार, 2 जनवरी 2012

310. एक नई शुरुआत

एक नई शुरुआत

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माना कि बहुत कुछ छूट गया
एक और सपना टूट गया
पार कर लिया, तो कर लिया
उस रास्ते पर दोबारा क्यों जाना
जहाँ पाँव में छाले पड़ें, सीने में शूल चुभे
बोझिल साँसे जाने कब रुकें।  

सपने जीवन का अन्त नहीं, एक नई शुरुआत भी है
कुछ ऐसे सपने सजाओ कि ज़िन्दगी जीने को मचल उठे
बार-बार नहीं देखो वैसे सपने
जिनके टूटने पर ज़िन्दगी अपनी अहमियत खो दे। 

नई राह में सम्भावनाएँ हैं 
शायद एक नई दिशा मिले, जो जीवन के लिए लाज़िमी हो
जहाँ सुकून के कुछ पल हों और सपनों को मंज़िल मिले।  

- जेन्नी शबनम (1.1.2012)
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