सोमवार, 2 जनवरी 2012

310. एक नई शुरुआत

एक नई शुरुआत

***

माना कि बहुत कुछ छूट गया
एक और सपना टूट गया
पार कर लिया, तो कर लिया
उस रास्ते पर दोबारा क्यों जाना
जहाँ पाँव में छाले पड़ें, सीने में शूल चुभे
बोझिल साँसे जाने कब रुकें।  

सपने जीवन का अन्त नहीं, एक नई शुरुआत भी है
कुछ ऐसे सपने सजाओ कि ज़िन्दगी जीने को मचल उठे
बार-बार नहीं देखो वैसे सपने
जिनके टूटने पर ज़िन्दगी अपनी अहमियत खो दे। 

नई राह में सम्भावनाएँ हैं 
शायद एक नई दिशा मिले, जो जीवन के लिए लाज़िमी हो
जहाँ सुकून के कुछ पल हों और सपनों को मंज़िल मिले।  

- जेन्नी शबनम (1.1.2012)
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16 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत खुब सुरत हे आपकि अभिलाशा …ंनूतनवर्श कि अनेक शुभकामनाएं …॥

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  2. सम्भावना है... तो जीवन है...!
    नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं!
    लिखती रहे सतत:)

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  3. एक सुखद सन्देश देती रचना !
    नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें !

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  4. कुछ ऐसे सपने सजाओ
    कि ज़िन्दगी जीने को मचल उठे...

    होशला अफजाई से सरोबर सुन्दर रचना .
    नववर्ष की शुभ कामनाये.

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  5. कुछ ऐसे सपने सजाओ
    कि ज़िन्दगी जीने को मचल उठे
    behad prernadayak.....

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  6. नयी राहें नयी मंज़िल देती हैं।

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  7. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
    नव वर्ष की शुभकामनायें|

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  8. दस दिनों तक नेट से बाहर रहा! केवल साइबर कैफे में जाकर मेल चेक किये और एक-दो पुरानी रचनाओं को पोस्ट कर दिया। लेकिन आज से मैं पूरी तरह से अपने काम पर लौट आया हूँ!
    नववर्ष की हार्दिक मंगलकामनाओं के आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल मंगलवार के चर्चा मंच पर भी होगी!

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  9. बहुत सुन्दर रचना...
    नववर्ष शुभ हो...

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  10. नई राह में
    संभावना तो है
    कि शायद
    एक नई दिशा मिले
    जो जीवन के लिए लाज़िमी हो
    जहाँ सुकून के कुछ पल हों
    और सपनों को मंज़िल मिले !

    बहुत अच्छी बात कही है जेन्नी जी आपने
    राह तो खुद तलाशना होता है|

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  11. आपको भी नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं ....

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  12. आपका पेस्ट अच्छा लगा । मरे अगले पोस्ट "जाके परदेशवा में भुलाई गईल राजा जी" पर आपका बेसव्री से इंतजार रहेगा । नव वर्ष की अशेष शुभकामनाएं । धन्यवाद ।

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  13. प्रिय बहिन आपकी ये पंक्तिया बहुत सार्थक और सकारात्मक हैं । हर निराश दिल में उम्मीदों का चिराग़ जलाने की ताकत है इन पंक्तियों में-सपने जीवन का अंत नहीं
    एक नई शुरुआत भी तो है,
    कुछ ऐसे सपने सजाओ
    कि ज़िन्दगी जीने को मचल उठे
    बार-बार नहीं देखो वैसे सपने
    जिसके टूटने पर
    ज़िन्दगी अपनी अहमियत खो दे !-आपको हार्दिक बधाई !

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  14. कुछ ऐसे सपने सजाओ
    कि ज़िन्दगी जीने को मचल उठे.
    bahut khoob.
    Welcome to मिश्री की डली ज़िंदगी हो चली

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  15. नई राह में
    संभावना तो है
    कि शायद
    एक नई दिशा मिले
    जो जीवन के लिए लाज़िमी हो
    जहाँ सुकून के कुछ पल हों
    और सपनों को मंज़िल मिले !

    बहुत सुन्दर और प्रेरक प्रस्तुति.
    बहुत बहुत आभार,जेन्नी जी.

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