लम्हों का सफ़र
मन की अभिव्यक्ति का सफ़र
रविवार, 25 मार्च 2012
334. परवाह (क्षणिका)
परवाह
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कई बार प्रेम के रिश्ते फाँस-से
चुभते हैं
इसलिए नहीं कि
रिश्ते ने दर्द दिया
इसलिए कि
रिश्ते ने परवाह नहीं की
और प्रेम की आधारशिला परवाह होती है
।
- जेन्नी शबनम (22. 3. 2012)
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