मन में है फूल खिला (5 माहिया)
(माहिया लिखने का प्रथम प्रयास)
(माहिया लिखने का प्रथम प्रयास)
*******
1.
जाने क्या लाचारी
कोई ना समझे
मन फिर भी है भारी !
2.
सन्देशा आज मिला
उनके आने का
मन में है फूल खिला !
3.
दुनिया भरमाती है
है अजब पहेली
समझ नहीं आती है !
4.
मैंने दीप जलाया
जब भी तू आया
मन ने झूमर गाया !
5.
चुपचाप हवा आती
थपकी यूँ देती
ज्यों लोरी है गाती !
- जेन्नी शबनम (3. 4. 2013)
____________________________
सभी बहुत सुंदर .... माहिया की परिभाषा भी दीजिये , जिससे हम भी प्रयास कर सकें
जवाब देंहटाएंबहुत लय बद्ध प्रस्तुति है.( माहिया को अगर परिभाषित करती तो अच्छा होता )
जवाब देंहटाएंLATEST POST सुहाने सपने
माहिया शायद हायकू को कहते हैं ?
जवाब देंहटाएंएक से बढ़कर एक है सब !
बहुत बढ़िया ...
जवाब देंहटाएंइस विधा के विषय में तो कुछ पता नहीं था जेन्नी जी...
क्या नियम हैं इसके???
सादर
अनु
आदरणीय डॉ साहब ये उहापोह की स्थिति होती है जब मन डोलता है हाँ ना में। संवेदना लिए .
जवाब देंहटाएंआज की ब्लॉग बुलेटिन क्यों 'ठीक है' न !? - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर माहिया..!
जवाब देंहटाएंपहला माहिया लिखने पर हार्दिक बधाई!:-)
~सादर!!!
सन्देशा आज मिला उनके आने का मन में है फूल खिला ! बहुत बढ़िया उम्दा पंक्तियाँ,,,
जवाब देंहटाएंRecent post : होली की हुडदंग कमेंट्स के संग
बहुत सुन्दर..
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति,आभार.
जवाब देंहटाएंहुआ मगन
जवाब देंहटाएंगाने लगा मन
मीठी धुन !
utam_**
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार (6-4-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
जवाब देंहटाएंसूचनार्थ!
बहुत खूब ... इस विधा के बारे में पोर्र पता नहीं ... पर मन को बहुत भाये आपके छंद ... ख्याल को पूरी तरह समर्पित ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंचुपचाप हवा आती
जवाब देंहटाएंथपकी यूँ देती
ज्यों लोरी है गाती !
सारी माहियां खूबसूरत । ये हाइकू से कैसे अलग है ?
Beautiful verses. I loved the last one.
जवाब देंहटाएं-बहुत बढिया
जवाब देंहटाएंvety nice
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर क्षणिकाएं.
जवाब देंहटाएंbahut sunder abhivyakti.
जवाब देंहटाएंये वाली बेस्ट लगी :
जवाब देंहटाएंमैंने दीप जलाया
जब भी तू आया
मन ने झूमर गाया!
सुन्दर!
सादर
मधुरेश
बहुत सुन्दर और भावपूर्ण....
जवाब देंहटाएंनव संवत् का रवि नवल, दे स्नेहिल संस्पर्श !
पल प्रतिपल हो हर्षमय, पथ पथ पर उत्कर्ष !!
चुपचाप हवा आती
थपकी यूं देती
ज्यों लोरी है गाती !
वाह वाह ! बहुत ख़ूब !
आदरणीया डॉ.जेन्नी शबनम जी
माहिया मेरी मनपसंद विधा है... ये और बात है अभी तक ब्लॉग पर माहिया की पोस्ट नहीं डाली ।
# राजस्थानी में माहिया लिखनेवाला मैं पहला छंदसाधक कवि हूं शायद !
आपने अच्छा प्रयास किया है , साधुवाद !
आपको सपरिवार नव संवत्सर २०७० की बहुत बहुत बधाई !
हार्दिक शुभकामनाएं-मंगलकामनाएं...
-राजेन्द्र स्वर्णकार
bahut badhiya ..gager men sagar ..
जवाब देंहटाएंनव संवत्सर की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ!!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया छंद देखने को मिले ....
जवाब देंहटाएं.
जवाब देंहटाएंचिंतनपरक सार्थक
सुंदर रचना
उत्कृष्ट प्रस्तुति
बधाई और शुभकामनायें
बहुत सुन्दर हायकू या माहिया या क्षणिकाएं |
जवाब देंहटाएं