बुधवार, 7 अगस्त 2013

415. मत सोच अधिक (15 हाइकु) पुस्तक 40-42

मत सोच अधिक 

******* 

1.
जो बीत गया 
मत सोच अधिक,
बढ़ता चल।

2.
जीवन-पथ 
डराता है बहुत, 
हारना मत।

3.
सब आएँगे 
जब हम न होंगे, 
अभी न कोई। 

4.
अपने छूटे
सब सपने टूटे, 
जीवन बचा।

5.
बहलाती हैं
ये स्मृतियाँ सुख की 
जीवन-भ्रम।

6.
शोक क्यों भला?
ग़ैरों के विछोह का 
ठहरा कौन?

7.
कतराती हैं 
सीधी सरल राहें, 
वक़्त बदला।

8.
ताली बजाती 
बरखा मुस्कुराती 
ख़ूब बरसी। 

9.
सब बिकता  
पर क़िस्मत नहीं, 
लाचार पैसा।

10
सब अकेले 
चाँद-सूरज जैसे
फिर शोक क्यों?

11.
जीवन साया 
कौन पकड़ पाया,
मगर भाया। 

12.
ज़िन्दगी माया 
बड़ा ही भरमाया 
हाथ न आया।

13.
सपने जीना 
सपनों को जिलाना,
हुनर बड़ा।

14.
कैसी पहेली 
ज़िन्दगी की दुनिया,
रही अबूझी।

15.
ख़ुद से नाता  
जीवन का दर्शन,  
आज की शिक्षा।

- जेन्नी शबनम (21. 7. 2013)
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18 टिप्‍पणियां:

  1. जो बीत गया, मत सोंच अकेला चलता चल !

    वाह ..

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  2. सब आएँगे
    जब हम न होंगे,
    अभी न कोई !

    गहन .....गूढ ...सुंदर हाइकु ....!!
    बहुत अच्छे लगे ....!!

    जवाब देंहटाएं
  3. सब अकेले
    चाँद-सूरज जैसे
    फिर शोक क्यों ?

    सच्ची बात!

    सारगर्भित लेखन!

    जवाब देंहटाएं
  4. जीवन से रू-ब-रू कराते हाइकु...
    बहुत सुंदर!

    ~सादर!!!

    जवाब देंहटाएं
  5. वाह सभी हायकू बहुत सुन्दर हैं..

    जवाब देंहटाएं
  6. सपने जीना
    सपनों को जिलाना,
    हुनर बड़ा !

    लाजबाब सुंदर हाइकू ,,,

    RECENT POST : तस्वीर नही बदली

    जवाब देंहटाएं
  7. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 08-08-2013 के चर्चा मंच पर है
    कृपया पधारें
    धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  8. कलम लिखो,
    नील-अश्रुओं में बहती
    जगत गाथाएँ!

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  9. ज़िंदगी साया
    कौन पकड़ पाया,
    मगर भाया ! ..बहुत सही बात ...
    ..बहुत सुन्दर सार्थक प्रस्तुति ...

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  10. जीवन की विविधतता को दर्शाती एक से पंद्रह तक अद्भुत रंग लिए अभिव्यक्ति बधाई

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  11. सब आएँगे
    जब हम न होंगे,
    अभी न कोई !
    Kitnee badee sachhayi kah dee aapne!

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  12. हम भूल गए हैं रख के कहीं …


    http://bulletinofblog.blogspot.in/2013/08/blog-post_10.html

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  13. बहुत ही खूबसूरत हाइकू .. जीवन का सच लिए ..

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  14. सारे हाइकु मन का कोना कोना देख आए हैं पर ये तो मन के अन्दर समा गया...

    सब अकेले
    चाँद-सूरज जैसे
    फिर शोक क्यों ?

    वाह ... आज का सच्चा जीवन दर्शन ..

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