बेपरवाह मौसम
*******
*******
कुछ मौसम
बिना हाल पूछे, चुपके से गुज़र जाते हैं
भले ही मैं उसकी ज़रूरतमंद होऊँ
भले ही मैं आहत होऊँ,
कुछ मौसम
शूल से चुभ जाते हैं
- जेन्नी शबनम (8. 2. 2014)
और मन की देहरी पर
साँकल-से लटक जाते हैं
हवा के हर एक हल्के झोंके से
साँकल बज उठती है
जैसे याद दिलाती हो, कहीं कोई नहीं,
दूर तक फैले बियाबान में
जैसे बिन मौसम बरसात शुरू हो
कुछ वैसे ही
मौसम की चेतावनी
मन की घबराहट और कुछ पीर
आँखों से बह जाती हैं
कुछ ज़ख़्म और गहरे हो जाते हैं,
फिर सन्नाटा
जैसे हवाओं ने सदा के लिए
अपना रुख़ मोड़ लिया हो
और जिसे इधर देखना भी
अब गँवारा नहीं।
- जेन्नी शबनम (8. 2. 2014)
___________________
nc post
जवाब देंहटाएंबहुत खूब रहे आपके ये एहसास. ..बेपरवाह मौसम कई दबे एहसास और यादें को कुरेद देता है… सुंदर, भावपूर्ण अभिव्यक्ति ...
जवाब देंहटाएंhttp://himkarshyam.blogspot.in
बहुत खूब!!!
जवाब देंहटाएंवाह मौसम का अफ़साना बडी खूबसूरती से बयां किया आपने ...........बहुत ही सुंदर पंक्तियां
जवाब देंहटाएंफिर सन्नाटा जैसे हवाओं ने सदा के लिए अपना रुख मोड़ लिया हो और जिसे इधर देखना भी अब गँवारा नहीं ! बहुत ही सुंदर प्रस्तुति। मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है।
जवाब देंहटाएंफिर सन्नाटा जैसे हवाओं ने सदा के लिए अपना रुख मोड़ लिया हो और जिसे इधर देखना भी अब गँवारा नहीं ! बहुत ही सुंदर प्रस्तुति। मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है।
जवाब देंहटाएंआपकी कृति बुधवार 12 फरवरी 2014 को लिंक की जाएगी...............
जवाब देंहटाएंhttp://nayi-purani-halchal.blogspot.in
आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
सच है..कुछ मौसम
जवाब देंहटाएंजाने कितने बेपरवाह हुआ करते हैं बहुत बढिया..
बेहतरीन प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएंRECENT POST -: पिता
मौसमों पे बस जो नहीं होता .. जैसे आंसुओं पे ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (12-02-2014) को "गाँडीव पड़ा लाचार " (चर्चा मंच-1521) पर भी होगी!
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
भावो का सुन्दर समायोजन......
जवाब देंहटाएंwah jenny di man ki baat...sundar shabdo mey....bahut sundar
जवाब देंहटाएंआह ....के साथ... वाह.. !
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर भाव! बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति जेन्नी जी !
आह ....के साथ... वाह.. !
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर भाव! बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति जेन्नी जी !
dil chhoone wali rachna
जवाब देंहटाएंshubhkamnayen
कुछ मौसम---चुपके से गुजर जाते हैं
जवाब देंहटाएंसाम्कल से लटक जाते हैं---
और कुछ पीर---आंखों से बह जाते हैं
बहुत खूब---
जब तुम साथ होते हो---तो उम्र एक लम्हा है फकत
जब नहीम हो तो---सजा बन जाती है
और कुछ मौसमों के साथ रूह का रिश्ता बड़ा गहरा हो जाता है..जो हरबार आकर किसी की याद ताज़ा कर जाते हैं..उत्तम प्रस्तुति।।।
जवाब देंहटाएंउफ़ ये बेपरवाह मौसम
जवाब देंहटाएंगनीमत है ये 'कुछ' ही होते हैं.
आपकी भावमय प्रस्तुति दिल को छूती है.