पूर्ण विराम
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एक पूरा वजूद, धीमे-धीमे जलकर
राख़ में बदलके चेतावनी देता-
यही है अंत, सबका अंत
मुफ़लिसी में जियो या करोड़ों बनाओ
चरित्र गँवाओ या तमाम साँसें लिख दो
इंसानियत के नाम
बस यही पूर्ण विराम, यही है पूर्ण विराम।
- जेन्नी शबनम (20. 1. 2014)
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