मंगलवार, 8 मार्च 2016

506. तू भी न कमाल करती है

तू भी न कमाल करती है  

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ज़िन्दगी तू भी न कमाल करती है!  
जहाँ-तहाँ भटकती फिरती  
ग़ैरों को नींद के सपने बाँटती  
पर मेरी फ़िक्र ज़रा भी नहीं  
सारी रात जागती-जागती  
तेरी बाट जोहती रहती हूँ  

तू कहती-  
फ़िक्र क्यों करती हो  
ज़िन्दगी हूँ तो जश्न मनाऊँगी ही  
मैं तेरी तरह बदन नहीं  
जिसका सारा वक़्त   
अपनों की तीमारदारी में बीतता है  
तूझे सपने देखने और पालने की मोहलत नहीं  
चाहत भले हो मगर साहस नहीं  
तू बस यूँ ही बेमक़सद बेमतलब जिए जा  
मैं तो जश्न मनाऊँगी ही  

मैं ज़िन्दगी हूँ  
अपने मनमाफ़िक जीती हूँ  
जहाँ प्यार मिले वहाँ उड़के चली जाती हूँ  
तू और तेरा दर्द मुझे बेचैन करता है  
तूझे कोई सपने जो दूँ  
तू उससे भी डर जाती है   
''ये सपने कोई साज़िश तो नहीं''  
इसलिए तुझसे दूर बहुत दूर रहती हूँ  
कभी-कभी जो घर याद आए  
तेरे पास चली आती हूँ  

ज़िन्दगी हूँ  
मिट तो जाऊँगी ही एक दिन  
उससे पहले पूरी दुनिया में उड़-उड़कर  
सपने बाँटती हूँ  
बदले में कोई मोल नहीं लेती  
सपनों को जिलाए रखने का वचन लेती हूँ  
सुकून है मैं अकारथ नहीं हूँ  

उन्मुक्त उड़ना ही ज़िन्दगी है  
मैं भी उड़ना चाहती हूँ बेफ़िक्र अपनी ज़िन्दगी की तरह 
हर रात तमाम रात सर पर सपनों की पोटली लिए  
मन चाहता है आसमान से एक बार में पूरी पोटली  
खेतों में उड़ेल दूँ  
सपनों के फल  
सपनों के फूल  
सपनों का घर  
सपनों का संसार  
खेतों में उग जाए  
और... मैं...!  

चल तन और सपन मिल जाए  
चल ज़िन्दगी तेरे साथ हम जी आएँ  
बहुत हुई उनकी बेगारी जिनको मेरी परवाह नहीं  
बस अब तेरी सुनूँगी गीत ज़िन्दगी के गाऊँगी  

तू दुनिया सुन्दर बनाती है  
सपनों को उसमें सजाती है  
जीने का हौसला बढ़ाती है  
ज़िन्दगी तू भी न कमाल करती है!  

- जेन्नी शबनम (8. 3. 2016)  
(महिला दिवस)
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4 टिप्‍पणियां:

  1. बढ़िया भावनाए, शब्द चयन अच्छा बधाई

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (09-03-2016) को "आठ मार्च-महिला दिवस" (चर्चा अंक-2276) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  3. कभी ख़ुशी कभी गम ... पर जिंदगी रहती है हर दम ...
    भावों का प्रवाह है रचना ...

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