अप्रैल फ़ूल
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आईने के सामने रह गई मैं भौचक खड़ी
उस पार खड़ा वक़्त ठठाकर हँस पड़ा
बेहयाई से बोला-
तू आज ही नहीं बनी फ़ूल
उम्र के गुज़रे तमाम पलों में
तुम्हें बनाया है अप्रैल फ़ूल।
- जेन्नी शबनम (1. 4. 2016)
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वाह, बहुत खूब
जवाब देंहटाएंसमय तो बनाता ही है पर चेतावनी से कर ... हम ही न सुने उसकी तो अप्रेल फूल तो बनना ही है ...
जवाब देंहटाएंजबरदस्त....
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