अजब ये दुनिया
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यह दुनिया
ज्यों अजायबघर
अनोखे दृश्य
अद्भुत संकलन
विस्मयकारी
देख होते हत्प्रभ !
अजब रीत
इस दुनिया की है
माटी की मूर्ति
देवियाँ पूजनीय
निरपराध
बेटियाँ हैं जलती
जो है जननी
दुनिया ये रचती !
कहीं क्रंदन
कहीं गूँजती हँसी
कोई यतीम
कोई है खुशहाल
कहीं महल
कहीं धरा बिछौना
बड़ी निराली
गज़ब ये दुनिया !
भूख से मृत्यु
वेदना है अपार
भरा भण्डार
संपत्ति बेशुमार
पर अभागा
कोई नहीं अपना
सब बेकार !
धरती में दरार
सूखे की मार
बहा ले गया सब
तूफानी जल
अपनी आग में ही
जला सूरज
अपनी रौशनी से
नहाया चाँद
हवा है बहकती
आँखें मूँदती
दुनिया चमत्कार
रूप-संसार !
हम इंसानों की है
कारगुजारी
हरे-घने जंगल
हुए लाचार
कट गए जो पेड़,
हुए उघार
चिड़िया बेआसरा
पानी भी प्यासा
चेत जाओ मानव !
वरना नष्ट
हो जाएगी दुनिया
मिट जाएगी
अजब ये दुनिया
गजब ये दुनिया !
- जेन्नी शबनम (28. 7. 2016)
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चेत जाओ मानव !
जवाब देंहटाएंवरना नष्ट
हो जाएगी दुनिया
मिट जाएगी
अजब ये दुनिया
गजब ये दुनिया !
बिलकुल सही कहा। पर मानव है कि चेतता ही नही......
वाह...
जवाब देंहटाएंआनन्दित हई पढ़कर
बेहतरीन रचना
सादर
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (30-07-2016) को "ख़ुशी से झूमो-गाओ" (चर्चा अंक-2419) पर भी होगी।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 31 जुलाई 2016 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुंदर !! अति सुंदर !!
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