जीवन को साकार करें
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अति बुरी होती है
साँसों की हो या संयम की
विचलन की हो या विभोर की
प्रेम की हो या परित्याग की
जीवन सहज, निरंतर और मंगल है
अतियों का त्यागकर, सीमित को अपनाकर
जीवन के लय में बहकर
जीवन का सत्कार करें, जीवन को साकार करें।
- जेन्नी शबनम (1. 1. 2017)
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Sundar panktiya
जवाब देंहटाएंसार्थक!!
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (03-01-2017) को "नए साल से दो बातें" (चर्चा अंक-2575) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
नववर्ष 2017 की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सच है "अति सर्वत्र वर्जयेत"
जवाब देंहटाएंबहुत सही ....
आपको नए साल की बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएं
दिनांक 04/01/2017 को...
जवाब देंहटाएंआप की रचना का लिंक होगा...
पांच लिंकों का आनंद... https://www.halchalwith5links.blogspot.com पर...
आप भी इस प्रस्तुति में....
सादर आमंत्रित हैं...
आमीन ... आशा भरी रचना ... जीवन का सत्कार करें ...
जवाब देंहटाएंनव वर्ष की मंगल कामनाएं ...
अति सार्थक रचना। बधाई।
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