बातें
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रात के अँधेरे में ढेरों बातें करती हूँ
जानती हूँ मेरे साथ
तुम कहीं नहीं थे, तुम कभी नहीं थे
पर सोचती रहती हूँ- तुम सुन रहे हो
और मैं ख़ुद से बातें करती हूँ।
- जेन्नी शबनम (25. 12. 2018)
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (26-12-2018) को "यीशु, अटल जी एंड मालवीय जी" (चर्चा अंक-3197) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत सु्दंंर क्षणिकाऐं हैं शबनम जी
जवाब देंहटाएंखूबसूरत लेखन .... बेहतरीन प्रवाह
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