पायदान
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सीढ़ी की पहली पायदान हूँ मैं
जिसपर चढ़कर समय ने छलाँग मारी
और चढ़ गया आसमान पर
मैं ठिठककर तब से खड़ी
काल-चक्र को बदलते देख रही हूँ,
न जिरह न कोई बात कहना चाहती हूँ
न हक़ की, न ईमान की, न तब की, न अब की।
शायद यही प्रारब्ध है मेरा
मैं, सीढ़ी की पहली पायदान।
- जेन्नी शबनम (8. 3. 2018)
(महिला दिवस)
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