रिश्ते
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1.
कौन समझे
मन की संवेदना
रिश्ते जो टूटे।
2.
नहीं अपना
कौन किससे कहे
मन की व्यथा।
3.
दीमक लगी
अंदर से खोखले
सारे ही रिश्ते।
4.
कोई न सुने
कारूणिक पुकार
रिश्ते मृतक।
5.
मन है टूटा
रिश्तों के दाँव-पेंच
नहीं सुलझे।
6.
धोखे ही धोखे
रिश्तों के बाज़ार में
मुफ़्त में मिले।
7.
नसीब यही
आसमान से गिरे
धोखे थे रिश्ते।
8.
शिकस्त देते
अपनों की खाल में
फ़रेबी रिश्ते।
9.
जाल में फाँसे
बहेलिए-से रिश्ते
क़त्ल ही करें।
10.
झूठ-फ़रेब
कैसे करें विश्वास
छलावा रिश्ते।
- जेन्नी शबनम (1. 10. 2019)
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (16-10-2019) को "जीवन की अभिलाषा" (चर्चा अंक- 3490) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में गुरुवार 17 अक्टूबर 2019 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंजीवन और मूक संवेदनाओं का अन्योन्याश्रय संबंध है। मन मे रहे तो निभते हैं रिश्ते, वर्ना एक विस्फोट...
जवाब देंहटाएंसुंदर भावाभिव्यक्ति ।
जेन्नी जी बहुत शानदार भाव समेटे सार्थक हाइकु।
जवाब देंहटाएंरिश्तों पर अलग अलग कोण से सटीक विवेचन।
वाह सृजन।
बहुत ही सुन्दर हायकू...
जवाब देंहटाएंवाह!!!
लाजवाब।