रविवार, 27 अक्टूबर 2019

635. दिवाली (दिवाली पर 7 हाइकु) पुस्तक - 112

दिवाली 
(दिवाली पर 7 हाइकु)   

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1.   
सुख समृद्धि   
हर घर पहुँचे   
दीये कहते।   

2.   
मन से देता   
सकारात्मक ऊर्जा   
माटी का दीया।   

3.   
दीयों की जोत   
दसों दिशा उर्जित   
मन हर्षित।   

4.   
अमा की रात   
जगमगाते दीप   
ज्यों हो पूर्णिमा।   

5.   
धरा ने ओढ़ा   
रोशनी का लिहाफ़   
जलते दीये।   

6.   
दिवाली दिन   
सजावट घर-घर   
फैला उजास।   

7.   
बंदनवार   
स्वागत व सत्कार   
लक्ष्मी प्रसन्न।   

- जेन्नी शबनम (26. 10. 2010)   
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गुरुवार, 24 अक्टूबर 2019

634. दंगा

दंगा  

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किसी ने कहा ये हिन्दू मरा   
कोई कहे ये मुसलमान था   
अपने-अपने दड़बे में क़ैद    
बँटा सारा हिन्दुस्तान था   

थरथराते जिस्मों के टुकड़े 
मगर जिह्वा पे रहीम-ओ-राम था   
कोई लाल लहू, कोई हरा लहू   
रँगा सारा हिन्दुस्तान था   

घूँघट और बुर्क़ा उघड़ा   
कटा जिस्म कहाँ बेजान था   
नौनिहालों के शव पर   
रोया सारा हिन्दुस्तान था    

दसों दिशाओं में चीख-पुकार   
ख़ौफ़ से काँपा आसमान था   
दहशत और अमानवीयता से   
डरा सारा हिन्दुस्तान था   

मन्दिर बने कि मस्जिद गिरे   
अवाम का नहीं, सत्ता का ये खेल था   
मन्दिर-मस्जिद के झगड़े में   
मरा सारा हिन्दुस्तान था   

-जेन्नी शबनम (24.10.2019)   
(भागलपुर दंगा के 30 साल होने पर)
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शुक्रवार, 18 अक्टूबर 2019

633. चाँद (चाँद पर 10 हाइकु) पुस्तक 111,112

चाँद 

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1.   
बिछ जो गई   
रोशनी की चादर   
चाँद है खुश।   

2.   
सबका प्यारा   
कई रिश्तों में दिखा   
दुलारा चाँद।   

3.   
सह न सका   
सूरज की तपिश   
चाँद जा छुपा।   

4.   
धुँधला दिखा   
प्रदूषण से हारा   
पूर्णिमा चाँद।   

5.   
चंदा ओ चंदा   
घर का संदेशा ला   
याद सताती।   

6.   
रौशन जहाँ   
शबाब पर चाँद   
पूनम रात।   

7.   
चाँदनी गिरी   
अमृत है बरसा   
पूर्णिमा रात।   

8.   
पूनो की रात   
चंदा ने ख़ूब की है    
अमृत वर्षा।   

9.   
मुख मलिन   
प्रकाश प्रदूषण   
तन्हा है चाँद।   

10.   
दिख न पाया   
बिजली भरमार   
चाँद का मुख।   

- जेन्नी शबनम (18. 10. 2019)   
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सोमवार, 14 अक्टूबर 2019

632. रिश्ते (रिश्ते पर 10 हाइकु) पुस्तक - 110,111

रिश्ते

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1.   
कौन समझे   
मन की संवेदना   
रिश्ते जो टूटे।   

2.   
नहीं अपना   
कौन किससे कहे   
मन की व्यथा।   

3.   
दीमक लगी   
अंदर से खोखले   
सारे ही रिश्ते।   

4.   
कोई न सुने   
कारूणिक पुकार   
रिश्ते मृतक।   

5.   
मन है टूटा   
रिश्तों के दाँव-पेंच   
नहीं सुलझे।   

6.   
धोखे ही धोखे   
रिश्तों के बाज़ार में   
मुफ़्त में मिले।   

7.   
नसीब यही   
आसमान से गिरे   
धोखे थे रिश्ते।   

8.   
शिकस्त देते   
अपनों की खाल में   
फ़रेबी रिश्ते।   

9.   
जाल में फाँसे   
बहेलिए-से रिश्ते   
क़त्ल ही करें।   

10.   
झूठ-फ़रेब   
कैसे करें विश्वास   
छलावा रिश्ते।   

- जेन्नी शबनम (1. 10. 2019)   
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गुरुवार, 10 अक्टूबर 2019

631. जीवन की गंध (क्षणिका)

जीवन की गंध   

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यहाँ भी कोई नहीं, वहाँ भी कोई नहीं 
नितान्त अकेले तय करना है 
तमाम राहों को पार करना है
पाप-पुण्य, सुख-दुःख   
मन की अवस्था, तन की व्यवस्था 
समझना ही होगा, सँभालना ही होगा   
यह जीवन और जीवन की गंध। 

- जेन्नी शबनम (10. 10. 2019)   
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बुधवार, 9 अक्टूबर 2019

630. जादुई नगरी

जादुई नगरी

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तुम प्रेम नगर के राजा हो   
मैं परी देश की हूँ रानी   
पँखों पर तुम्हें बिठाकर मैं   
ले जाऊँ सपनो की नगरी।   

मन चाहे तोड़ो जितना   
फूलों की है मीलों क्यारी   
कभी शेष नहीं होती है   
फूलों की यह फूलवारी।   

झुलाएँ तुम्हें अपना झूला   
लता पुष्पों से बने ये झूले   
बासंती बयार है इठलाती   
धरा-गगन तक जाएँ झूले।   

कल-कल बहता मीठा झरना   
पाँव पखारे और भींगे तन-मन   
मन की प्यास बुझाता है यह   
बिना उलाहना रहता है मगन।   

जादुई नगरी में फैली शाँति   
आओ यहीं बस जाएँ हम   
हर चाहत को पूरी कर लें   
जीवन को दें विश्राम हम।   

उत्सव की छटा है बिखरी   
रोम-रोम हुआ है सावन   
आओ मुट्ठी में भर लें हम   
मौसम-सा यह सुन्दर जीवन।   

- जेन्नी शबनम (9. 10. 2019) 
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