सोमवार, 27 जनवरी 2020

643. बेफ़िक्र धूप (ठंड पर 10 हाइकु) पुस्तक 112, 113

बेफ़िक्र धूप 

*******   

1.   
ठठ्ठा करता   
लुका-चोरी खेलता   
मुआ सूरज।   

2.   
बेफ़िक्र धूप   
इठलाती निकली   
मुँह चिढ़ाती।   

3.   
बिफरा सूर्य   
मनाने चली हवा   
भूल के गुस्सा।   

4.   
गर्म अँगीठी   
घुसपैठिया हवा,   
रार है ठनी।   

5.   
ठिठुरा सूर्य   
अलसाया-सा उगा   
दिशा में पूर्व।   

6.   
धमकी देता   
और भी पिघलूँगा,   
हिम पर्वत।   

7.   
डर के भागा   
सूरज बचकाना,   
सर्द हवाएँ।   

8.   
वक़्त चलता   
खरामा-खरामा-सा   
ठंड के मारे।   

9.   
जला जो सूर्य   
राहत की बारिश,   
मिज़ाज स्फूर्त।   

10.   
शातिर हवा   
चुगली है करती   
सूर्य बिदका।   

- जेन्नी शबनम (26. 1. 2020)   
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9 टिप्‍पणियां:

  1. सादर नमस्कार ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार(28-01-2020 ) को " चालीस लाख कदम "(चर्चा अंक - 3594) पर भी होगी
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का
    महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    ...
    कामिनी सिन्हा

    जवाब देंहटाएं
  2. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (31-01-2020) को "ऐ जिंदगी तेरी हर बात से डर लगता है"(चर्चा अंक - 3597) पर भी होगी।
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है 
    ….
    अनीता लागुरी 'अनु '

    जवाब देंहटाएं