निपटाया जाएगा
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विरोध के स्वर को कुछ यूँ दबाया जाएगा
होश में जो हो उसे पागल बताया जाएगा।
काट छाँटकर बाँट-बाँटकर यह संसार चलेगा
रोटी और बेटी का मसला यूँ निपटाया जाएगा।
क्रूरता और पाश्विकता कई खेमों में बँटे
चौक चौराहों पर टँगा जिस्म दिखाया जाएगा।
हदों की परवाह किसे बेहद से हम सब गुज़रे
मुट्ठियों का इंक्लाब अब बेदम कराया जाएगा।
नहीं परवाह सबको ज़माने के बदख्याली की
नफ़रतों में अमन का पौधा खिलाया जाएगा।
बाट जोहकर समय जब हथेलियों से फिसल जाएगा
बद्दुआएँ 'शब' को देकर फिर ख़ूब पछताया जाएगा।
- जेन्नी शबनम (27. 4. 2020)
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वाह वाह शानदार....हर बंध बेहद लाज़वाब है।
जवाब देंहटाएंपरिस्थितिजन्य मन की खिन्नता की आक्रोशित अभिव्यक्ति।
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (29-04-2020) को "रोटियों से बस्तियाँ आबाद हैं" (चर्चा अंक-3686) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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कोरोना को घर में लॉकडाउन होकर ही हराया जा सकता है इसलिए आप सब लोग अपने और अपनों के लिए घर में ही रहें। आशा की जाती है कि अगले सप्ताह से कोरोना मुक्त जिलों में लॉकडाउन खत्म हो सकता है।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
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सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
खूबसूरत दिन बनेगा पाठकों संग शायरा का-
जवाब देंहटाएंइस ग़ज़ल को आज जब उत्तम बताया जाएगा
हमेशा की तरह बहुत ही धारदार वह बहुत ही मारक सभी के सभी एक से बढ़कर एक सामयिक सार्थक व सटीक ।
जवाब देंहटाएंबढ़िया
जवाब देंहटाएंव्यवस्था से लड़ने के लिए हमारे पास समय की कमी रही !
जवाब देंहटाएंफिलहाल तो बीमारी से लड़ने की जरूरत है !
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जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबेहद लाज़वाब है
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