हम
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1.
चाहता मन-
काश पंख जो होते
उड़ते हम।
2.
जल के स्रोत
कण-कण से फूटे
प्यासे हैं हम।
3.
पेट मे आग
पर जलता मन,
चकित हम।
4.
हमसे जन्मी
मंदिर की प्रतिमा,
हम ही बुरे।
5.
बहता रहा
आँसुओं का दरिया
हम ही डूबे।
6.
कोई न सगा
ये कैसी है दुनिया?
ठगाए हम।
7.
हमने ही दी
सबूत व गवाही,
इतिहास मैं।
8.
यायावर थी,
शब्दों में अब मिली,
पनाह मुझे।
9.
मिला है शाप,
अभिशापित हम
किया न पाप।
10.
अकेले चले
सूरज-से जलते
जन्मों से हम।
11.
अड़े ही रहे
आँधियों में अडिग
हम हैं दूब।
- जेन्नी शबनम (7. 11. 2020)
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बहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंवाह
जवाब देंहटाएंबढ़िया हाइकु।
जवाब देंहटाएंसादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (१०-११-२०२०) को "आज नया एक गीत लिखूं"(चर्चा अंक- 3881) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
--
कामिनी सिन्हा
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब !
जवाब देंहटाएंवाह !बेहतरीन दी 👌
जवाब देंहटाएंचाहता मन
काश पंख जो होते
उड़ते हम! ..वाह !
सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंबिलकुल नई विधा
बहुत सुंदर
bhut hi badiya post likhi hai aapne. Ankit Badigar Ki Traf se Dhanyvad.
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